छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : कहने को तो गवर्नमेंट हॉस्पिटलों में सबकुछ फ्री है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। एमजीएम हॉस्पिटल में यहां एडमिट एक-एक पेशेंट को इलाज के लिए 20-25 हजार तक का खर्च करना पड़ रहा है। सबसे अधिक हड्डी व सर्जरी विभाग में एडमिट पेशेंट्स को परेशानी हो रही है। छोटे ऑपरेशन के लिए पेशेंट्स को तीन से चार हजार का समान मंगाया जा रहा है। वहीं हड्डी रोग विभाग में आधे दर्जन से अधिक वैसे पेशेंट एडमिट है, जिनके ट्रीटमेंट पर 20-25 हजार तक का खर्च हो चुका है। इसका मुख्य कारण चिकित्सीय समाग्री व दवाओं का अभाव बताया जा रहा है।

नाम का सरकारी, पैसा प्राइवेट जैसे ही

डिमना रोड स्थित शंकोसाई निवासी राधे रजक रविवार को सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। इसके बाद उन्हें एमजीएम हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। वहां पर सिटी स्कैन के लिए 800 व एक्सरे के लिए 210 रुपये लिया गया। वह कहते है कि बेड को छोड़ सभी चीज का पैसा जमा करना पड़ रहा है।

कर चुके हैं हजारों खर्च, अब कर रहे हैं रेफर

आदित्यपुर स्थित निरूडीह गांव निवासी अशोक श्रीवास्तव 19 दिन से एडमिट है। उनका पैर टूट हुआ है। अबतक उनके ट्रीटमेंट पर करीब 1500 रुपये खर्च हो चुका है। अब डॉक्टर दूसरे हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट कराने को कह रहे है।

25 हजार खर्च, विटामीन की भी नहीं मिल रही दवा

बागबेड़ा निवासी बिंदु देवी का पैर के कुल्हा टूट गया है। उन्हें प्लेट लगाया गया है। इसपर करीब 12 हजार का खर्च आया है। वहीं 13 हजार की दवा खरीद चुकी है बेटा निरजंन साहू दूसरे से उधारी लेकर अपनी मां का ट्रीटमेंट करा रहा है। कहता है कि विटामीन की भी दवा नहीं मिल रही है।

तीन माह में 20 हजार हो चुका है खर्च

शास्त्रीनगर निवासी फिरोज के पैर का कुल्हा टूट गया है। वह तीन माह से हॉस्पिटल में एडमिट है। 20 हजार से अधिक की राशि खर्च हो चुका है। वे कहते हैं- सिर्फ कहने को सबकुछ मुफ्त है एडमिट होते ही पैसा लगना शुरू हो जाता है।

300 दवाओं की जगह सिर्फ 30

एमजीएम हॉस्पिटल में कम से कम 300 तरह की दवाएं 24 घंटे रहनी चाहिए लेकिन यहां सिर्फ 30 दवाएं ही हैं। इनमें से भी कई दवाएं नहीं होने के कारण पेशेंट्स को बाहर से खरीदना मजबूरी है।