मंडल के सबसे बड़े SRN हॉस्पिटल में गर्मी से तिलमिला रहे मरीज

भीषण गर्मी में सता रहा इंफेक्शन का डर, घडि़यां गिन कट रहे दिन और रात

बाजार से कूलर और पंखा खरीदने को मजबूर हैं मरीज के परिजन

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: दवा, पट्टी, इंजेक्शन खरीदने को मजबूर मरीजों को अब मोल की हवा भी खरीदनी पड़ रही है। यह हाल है कि मंडल के सबसे बड़े एसआरएन हॉस्पिटल की। यहां भर्ती मरीज भीषण गर्मी में तिलमिला रहे हैं। एसी-कूलर तो छोडि़ए, वार्डो में हवा के लिए माकूल पंखों तक का इंतजाम नही है। जैसे-तैसे मरीज यहां दिन काट रहे हैं। ऊपर से इंफेक्शन का डर अलग सता रहा है। मजबूरी में मरीजों के परिजन बाजार से कूलर-पंखे खरीद रहे हैं। मरीजों ने शासन से सरकारी हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने की मांग की है।

Example one

अस्थि रोग वार्ड नंबर दो में भर्ती मरीज आईटीआई कालोनी नैनी के रहने वाले सैफ अली खान के बेड के बगल छोटा सा कूलर चल रहा था। परिजनों ने बताया कि पैर का ऑपरेशन हुआ है और पंखे की हवा नाकाफी थी। इसलिए बाजार से दो हजार रुपए का कूलर खरीदना पड़ा। उन्होंने कहा कि इलाज के लिए दवा और इंजेक्शन भी बाजार से खरीदना पड़ता है।

Example two

सोरांव के रहने वाले साहुल के पैर का भी आपॅरेशन हुआ है। वह भी वार्ड नंबर एक में भर्ती हैं। परिजनों ने बताया कि गर्मी में घाव के इंफेक्शन से बचने के लिए बाजार से खरीदकर कूलर लगाया था और अब वह भी खराब हो गया है। हॉस्पिटल से कोई मदद नही मिल रही है। ऐसे में मरीज को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Example three

वार्ड नंबर एक महिला वार्ड के बेड नंबर एक पर भर्ती सरिता श्रीवास्तव इलाज से नाखुश नजर आई। उन्होंने कहा कि दवा और इंजेक्शन तो बाजार से खरीदना पड़ रहा था। अब हवा भी उपलब्ध नही है। ऐसे में बाजार से टेबल फैन खरीदकर लाना पड़ा। वार्ड में कूलर तो है नही, सीलिंग फैन भी खराब स्थिति में हैं।

example four

वार्ड नंबर एक में भर्ती शहीदागांव थरवई थाने के संदीप सिंह का इलाज चार माह से चल रहा है। अभी तक उन्हें डिस्चार्ज नही किया गया। वह बताते हैं कि गर्मी शुरू होते ही सीलिंग फैन सही कराने की मांग की गई थी लेकिन सुनवाई नही हुई। अब भीषण गर्मी में बेड पर एक पल लेटना मुश्किल हो रहा है। लगातार पसीना निकलने से उन्हें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

Example five

वार्ड नंबर दस मेडिसिन में भर्ती पिपरी गांव के पुष्पराज को बुखार और ब्लीडिंग की शिकायत है। परिजन बताते हैं कि अभी भर्ती हुए 24 घंटे हुए हैं और बिजली की कटौती ने हालत खराब कर दी है। वार्ड में लगा पंखा भी भरपूर हवा नही दे पा रहा है।

गर्मी में बेहाल होते हैं मरीज

यह कोई नई बात नही है। हर साल गर्मी के मौसम में वार्डो में भर्ती मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हो हल्ला मचता है और हॉस्पिटल प्रशासन कूलर-पंखे लगवाने और मरम्मत का आश्वासन देता है। बजट भी पास होता है लेकिन होता कुछ नही। हालात जस के तस बने रहते हैं। मेडिसिन वार्ड में लगे एसी पिछले लंबे समय से खराब पड़े हैं लेकिन लगवाने की सुध कोई नही लेता। यहां तक ओपीडी में डॉक्टरों को भी गर्मी में मरीजों को देखना पड़ता है।

मंत्री की फटकार का भी असर नही

हाल ही में चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने एसआरएन हॉस्पिटल का दौरा किया था। उन्होंने भीषण गर्मी में भर्ती मरीजों की शिकायत सुनकर हॉस्पिटल प्रशासन ने कूलर-पंखे का इंतजाम करने के आदेश भी दिए थे, जिसका अभी तक कोई असर नजर नही आया। हालांकि, पिछले माह सीनियर रेजिडेंट्स की ओर से कुछ कूलर जरूर डोनेट किए गए थे जो एक हजार मरीजों की क्षमता वाले हॉस्पिटल के लिए काफी नही हैं। फिलहाल मरीजों को राहत की खासी दरकार है।

सर्जरी के मरीजो को दिक्कत ज्यादा

पारा चालीस डिग्री के पार हो चुका है। ऐसे में बिना हवा-पानी उन मरीजों को अधिक दिक्कत है जिनकी सर्जरी हुई है। इनके घाव गर्मी में इंफेक्शन से पक सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो शरीर में जहर फैलने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा अधिक गर्मी में मरीजों को डायरिया और उल्टी-दस्त का खतरा भी बना रहता है। जिससे बचने के लिए प्रत्येक वार्ड में पर्याप्त संख्या में कूलर और पंखे की आवश्यकता है।

शासन से मिले बजट से बीस नए कूलर लगाए गए हैं। पुराने कूलर और पंखों की रिपेयरिंग की जा रही है। नए एसी लगाने का बजट शासन से अभी तक नही मिला है। बढ़ते तापमान को देखते हुए हॉस्पिटल में इससे कम से कम पांच गुने कूलर की आवश्यकता है।

-डॉ। करुणाकर द्विवेदी

एसआईसी, एसआरएन