PATNA(17 Aug): साइंस और मैथ एक ऐसा विषय हैं, जिसे कभी भी रटा नहीं जा सकता है। केवल इसे समझा जा सकता है। यह बच्चों का पसंदीदा विषय भी होता है, लेकिन विज्ञान के नाम से कई बच्चे डरते भी हैं, क्योंकि विज्ञान समझ नहीं आती है। वैसे साइंस बड़ा ही रोमांचक विषय है। बशर्ते की इसे पढ़ाने और समझाने वाला टीचर प्रायोगों के माध्यम से समझाए। पर बिहार के आधे से अधिक स्कूलों में प्रयोगशाला में तो ताला जड़ा रहता है। जहां सब कुछ है वहां साइंस के टीचर ही नदारद हैं। ऐसे में बच्चों को प्रैक्टिकल करवाए तो कौन कराए? दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'प्रयोग का दुरुपयोग' कैंपेन में आज पढि़ए नया टोला स्थित पीएन एंग्लों संस्कृत स्कूल की हकीकत

फैक्ट फिगर

स्कूल : पीएन एंग्लों संस्कृत स्कूल

स्थान : नया टोला पटना

प्राचार्या : रेणू कुमारी

छात्रों की संख्या : क्98 (इंटर साइंस में)

शिक्षकों की संख्या :

प्रयोगशाला : फ् (रसायन, भौतिक, जीव विज्ञान )

इंटर का रिजल्ट : 8क् प्रतिशत (साइंस में)

प्रैक्टिकल में पास प्रतिशत: क्00 प्रतिशत

प्रैक्टिकल में मिनिमम-मैक्सिमम मा‌र्क्स : ख्म्-फ्0

आंखों देखी

'प्रयोग का दुरुपयोग' कैंपेन के तहत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर नया टोला स्थित एंग्लों संस्कृत स्कूल पहुंच प्रैक्टिकल रूम का जायजा लिया। वहां मौजूद कुछ छात्रों से जब केमेस्ट्री से संबंधित कुछ क्वेश्चन किए गए तो किसी ने उसका सही जवाब नहीं दिया। यहां तक की ऑक्सीजन और पानी का फॉमूला तक बच्चे नहीं बता सके। ऐसे में सवाल यह उठता है कि बिना पढ़ाई किए इन बच्चों को प्रैक्टिकल में कैसे मा‌र्क्स मिल जाता है।

ये है हकीकत

फिजिक्स विभाग

फिजिक्स प्रयोगशाला में स्टूडेंट्स पिछले तीन साल से नहीं गए हैं। इस स्कूल में वर्ष ख्0क्फ् से फिजिक्स के टीचर तक नहीं है। हैरानी तो तब हुआ जब सेकेंडरी विभाग के बारे में रिपोर्टर ने केमेस्ट्र के टीचर सुशीला कुमारी से सवाल किया कि बाकी स्टूडेंट्स प्रयोग करते हैं या नहीं? इसपर सुशीला ने बताया कि सेकेंडरी विभाग में साइंस के कोई टीचर नहीं हैं। जबकि हाई स्कूल में फिजिक्स के टीचर नहीं है। केमेस्ट्री और बॉयोलॉजी के एक-एक शिक्षक हैं। ऐसे में आप स्वंय ही अंदाजा लगा सकते हैं कि छात्रों को परीक्षा में कैसे मा‌र्क्स मिल जाता होगा।

केमिस्ट्री विभाग

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब केमिस्ट्री विभाग में पहुंची। तो वहां कमरे में खाली मेज पड़े हुए थे। प्रयोगशाला में प्रयोग करने के लिए नमक के अलावा और कोई भी न केमिकल उपलब्ध था और न ही कोई इंस्ट्रूमेंट। ऐसे में सवाल उठता है कि केमेस्ट्री प्रयोगशाल में प्रयोग करने के लिए उचित सामान नहीं है तो स्टूडेंट्स कैसे प्रयोग करते होंगे।

बायोलॉजी विभाग

बायोलॉजी विभाग में स्टूडेंट्स के प्रयोग करने के लिए मेज और कुर्सी के आलावा और कुछ नहीं था। कुछ सामान यू ही कबाड़ की तरह पड़ा हुआ दिखा। न कहीं माइक्रोस्कोप दिखा और न ही कहीं लेंस। ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चे आखिर प्रैक्टिकल क्लास करते कैसे होंगे। एक शिक्षक से पूछने पर बताया गया कि सारा सामान स्टोर रूम में बंद है।

ऐसे बरसे थे प्रैक्टिकल में मा‌र्क्स

इंटरमीडिएट परीक्षा में ख्0क्म्-ख्0क्7 में पास हुए कुछ स्टूडेंट्स का जब प्रैक्टिकल मा‌र्क्स चेक किए गए तो वो चौंकाने वाले थे। फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायो इन तीनों विषयों के प्रैक्टिकल में अधिकांश बच्चों को प्रैक्टिकल में ख्म् से फ्0 मा‌र्क्स दिए गए हैं। कुछ रॉल नंबर का रिजल्ट आप भी देखें।

प्रैक्टिकल के मा‌र्क्स

रॉल नंबर फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी

क्70क्000म् ख्8/ फ्0 ख्8/ फ्0 ख्8/ फ्0

क्70क्0007 ख्8 / फ्0 ख्9/ फ्0 ख्9/ फ्0

क्70क्00क्फ् ख्8 / फ्0 ख्8/ फ्0 ख्9/ फ्0

क्70क्00क्भ् ख्8 / फ्0 ख्9 / फ्0 ख्9 / फ्0

स्कूल में प्रयोगशाला व्यवस्थित है। यहां तीनों ही साइंस सब्जेक्ट का प्रयोगशाला है। सभी लैब में सामान भी उपलब्ध है। बच्चे समय-समय पर प्रयोगशाला में जाकर प्रायोगिक कार्य करते हैं। पर मैं मानता हूं कि यहां फिजिक्स के टीचर नहीं हैं। इसलिए स्टूडेंट्स को थ्योरी और प्रैक्टिकल में थोड़ी प्राब्लम होती है।

- रेणू कुमारी, प्राचार्या, पीएन एंग्लों संस्कृत स्कूल

स्कूल में साइंस के टीचर नहीं हैं इसलिए थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी नहीं होता है। ऐसे में हमलोगों का कोर्स भी काफी पीछे है। पता नहीं एग्जाम तक कोर्स पूरा होगा या नहीं। प्रैक्टिकल क्लास बंद होने से हमलोग कुछ सिख भी नहीं पा रहे हैं

- सिद्धार्थ कुमार, स्टूडेंट

स्कूल में काफी दिनों से प्रैक्टिकल नहीं हो रहा है। हमारे स्कूल में कई साल से साइंस के टीचर ही नहीं है। एग्जाम के समय ही प्रैक्टिकल कराया जाता है। प्रैक्टिकल एग्जाम में फाइल देखा जाता है। इससे पहले तो प्रैक्टिकल का कोई क्लास नहीं होता।

- आकाश कुमार, स्टूडेंट

यहां कभी प्रैक्टिकल कार्य नहीं होता। बस मा‌र्क्स आपको किस्मत पर मिल जाता है। मैं यहां से पास आउट स्टूडेंट हूं। यहां तो साइंस के टीचर्स भी नहीं है तो भला प्रैक्टिकल कौन कराएगा।

- विश्वजीत कुमार , पूर्व स्टूडेंट