- तनाव में रह रहे अधिकतर लोग सुसाइड के बजाए कर रहे संघर्ष

- मार्डन कल्चर में पारिवारिक विवाद के बढ़े हैं मामले

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PATNA : बक्सर के डीएम मुकेश कुमार पांडेय ने सुसाइड से पहले बनाए वीडियो में कहा कि उनके पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। सिलसिलेवार पारिवारिक समस्या बताते हुए उन्होंने सुसाइड की बात कही। लेकिन बात पारिवारिक समस्या की करें तो पटना के हर तीसरे घर में ऐसी समस्या है जहां परिवार में सामंजस्य नहीं बन पाता है। कई ऐसे लोग भी हैं जो पारिवारिक समस्या से तंग आकर सुसाइड का मूड तो बनाए लेकिन बाद में बदल दिया। आज वह खुशहाल जिंदगी जा रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने प्रदेश के इस हाई प्रोफाइल मामले के बाद जब पटना में पड़ताल की तो कई ऐसे परिवार सामने आए जिन्हें नजीर कहा जा सकता है। समाजिक प्रतिष्ठा के कारण बिना पहचान बताए हम ऐसे लोगों को आपके सामने ला रहे हैं जिन्होंने समस्या से घिरकर सुसाइड करने के बजाए संघर्ष किया।

केस एक

- तीन बार किया सुसाइड का प्रयास

पटना के सगुनामोड़ के एक ऐसे युवक हैं जो आज ऊपर वाले का शुक्रिया करते हैं कि वह सुसाइड का प्लान एन वक्त पर बदल दिए। वह शादी के बाद काफी परेशान थे और उन्हें भी लग रहा था कि सुसाइड के अलावा कोई रास्ता नहीं है। वह तीन बार प्रयास भी किए लेकिन जब भी नदी के पास गए बच्चों का चेहरा सामने आ गया। च्ह बच्चों के प्यार में खुद को खत्म च्हीं कर पाए। काफी दिनों तक तनाव में जिंदगी चलती रही लेकिन समय ने करवट लिया और आज परिवार में खुशहाली है। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि पत्‍‌नी जब तक मुझ नहीं समझ रही थी और ससुराल वालों के कहने पर काम करती थी तब तक सामंजस्य नहीं बन पा रहा था। ससुराल पक्ष जब दखल कम किया तब उनका पत्‍‌नी से संबंध मधुर हो गया। आज वह जिस प्रोफेशन में हैं उनकी पत्‍‌नी भी उसमें खूब सहयोग कर रही है।

केस दो

- बैंक कर्ज ने सुसाइड के मुहाने तक पहुंचाया

पटना के ही एक व्यापारी की कहानी भी काफी अजीब है। जब व्यापार जमकर चलता था तब ऐसे लोगों से मित्रता हो गई जिनके लिए खूब पैसा उड़ाया। एक समय ऐसा आया जब कंगाली आ गई और बैंक का लिया कर्ज भी बड़ा बोझ बन गया। जिन दोस्तों के ऊ पर लाखों खर्च किया वह भी साथ छोड़ दिए। बैंक से आरसी क टते ही परिवार में भी खरमंडल हो गया और व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया। उनके सामने कोई रास्ता नहीं था जिससे वह खुद को संभाल पाएं। कई बार ख्याल आया कि सुसाइड कर लें लेकिन मौत से डर लगता था। सुसाइड का प्लान बदला और हिम्मत संघर्ष करने की बनाई। फिर से रिश्तेदारों से कर्ज लेकर व्यापार शुरू किया और तीन साल में न सिर्फ रिश्तेदारों का पैसा चुकाया बल्कि बैंक का बोझ भी काफी हद तक उतार दिया है। उनका कहना है कि वह सुसाइड कर लिए होते तो बैंक का कर्ज उनके परिवार को देना पड़ ता।

केस तीन

- बीमारी के कारण करने जा रहे थे सुसाइड

पटना के ही एक युवा ऐसे हैं जो बीमारी के कारण दो साल पूर्व सुसाइड करने जा रहे थे। अचानक से तबियत खराब हुई और काफ ी इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। परीक्षण के दौरान पता चला कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है। डॉक्टर के बताने के बाद वह काफी मायूस हो गए और उन्हें लगा कि जान चली जाए तो ही अच्छा होगा। वह पटना सिटी एरिया में जाकर सुसाइड करने की सोचे। सुसाइड नोटच्भी लिख लिया लेकिन परिवार के बारे में सोचा तो ठहर गए। उन्हें डर था कि वह इस तरह मर गए तो उनके बाद उनके परिवार पर उंगली उठेगी। वह बीमारी से लड़ना शुरू किए और आज काफी हद तक सही हैं।

- हर माह आते हैं केस

पटना में कई ऐसे सेंटर हैं जहां अवसाद के शिकार इलाज के लिए आते हैं। यहां के काउंसलर और मनोचिकित्सकों का कहना है कि सुसाइड के प्रयास के बहुत से ऐसे केस आते हैं जो छोटी छोटी बात पर जिंदगी खत्म कर लेने का प्लान बना लेते हैं। काउंसलर क ा कहना है कि ये समस्या का समाधान नहीं है। अगर ऐसे लोगों क ी समय पर काउंसलिंग हो तो उन्हें सुसाइड से रोका जा सकता है।

कोट

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में उपचार के कई प्रकार आत्महत्या के जोखिम को कम कर सकते हैं। वे लोग जो सक्रिय रूप से आत्महत्या के जोखिम में आते हैं उनको उनकी इच्छा से देखभाल के लिए भर्ती किया जाता है। सकारात्मक सोच और परिवार में सामंजस्य बनाने से ही ऐसे मामचें पर अंकुश लगाया जा सकता है।

- डॉ विवेक विशाल, मनो चिकित्सक

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