दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की परिचर्चा में खुलकर बोले लोग, कही मन की बात

उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा इलाहाबाद में संचालित साधारण बसों की दुर्दशा से यात्री बेहाल

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों का भगवान ही मालिक है। गोंडा डिपो का हादसा हो, जिसमें ट्रक से टक्कर होने पर इमरजेंसी गेट खुल ही नहीं सका और 24 यात्री जिंदा जल गए या फिर जौनपुर जा रही बस का दुघर्टनाग्रस्त होना, जिसमें कई यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसके बावजूद निगम डग्गामार बसों को ही चला रहा है। क्योंकि परिवहन निगम और सरकार को यात्रियों की सुविधा से कोई मतलब नहीं है, बस किराया वसूलना ही उद्देश्य रह गया है। यह बातें रविवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से मीरापुर में कराई गई डिबेट में लोगों ने कही। यह डिबेट रोडवेज की बसों में दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर कराई गई थी।

हार्न छोड़ सब बजता है

परिवहन निगम द्वारा सिविल लाइंस डिपो से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में साधारण से लेकर वॉल्वो और जनरथ एसी बसों का संचालन होता है। परिचर्चा के दौरान एक बात पर सभी सहमत दिखे कि जितनी भी बसें चल रही है उसमें से 60 फीसदी बसों में हार्न की जगह सब कुछ बजता है। सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि इमरजेंसी गेट और शीशे की खिड़कियां तो इस कदर आवाज करती हैं कि यात्रा के दौरान सिरदर्द की गोली खानी पड़ती है। शिव शंकर निषाद और अनुराग ने कहा कि ड्राइवर अपनी मर्जी से कही भी बस को रोक देता है सिर्फ वसूली करने के लिए। जबकि रोडवेज की बसों को निर्धारित स्टॉप पर ही खड़ा करके सवारी बैठानी चाहिए। बसों में अग्निशमन यंत्र और फ‌र्स्ट एड बॉक्स शोपीस बने हैं। कई लोगों ने दो टूक कहा कि बस में बैठो नहीं कि परिचालक किराया लेने सीट पर पहुंच जाता है। जब सुविधा की बात करो तो कन्नी काट लेते हैं।

प्रदेश में किसी की भी सरकार हो। अगर हकीकत में महीने में एक बार पड़ताल की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

शिव शंकर निषाद

जनरथ एसी बसें भले ही चलाई गई हों, लेकिन रखरखाव न होने की वजह से वे भी जल्दी ही साधारण बसों की श्रेणी में आ जाएंगी। गोरखपुर रुट की एसी बसों में तो अभी से जहरीला धुंआ निकलने लगा है।

कमलेश मिश्रा

सरकार का काम सिर्फ यात्रियों से किराया वसूलना ही रह गया है। सुविधा सोशल मीडिया पर खूब मिलती है लेकिन डिपो में जाओ तो संबंधित जगह पर जाने के लिए बस को ढूंढ़ने में ही समय निकल जाता है।

शोभित खत्री

सरकार को डग्गामार बसों को तत्काल डिपो से हटा देना चाहिए। क्योंकि ऐसी बसों के रखरखाव पर भी अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें मालूम होता है कि फलां बस खराब हो चुकी है।

अनुराग श्रीवास्तव

आठ वर्षो से काम के सिलसिले में रोडवेज की बस से यात्रा कर रहा हूं। आज तक एक भी ऐसी बस नहीं मिली है। जिसमें से आवाज नहीं आती हो। किराया भी दो और परेशान भी हो यह यात्रियों के साथ सरासर नाइंसाफी है।

सुशील कुमार

डिपो से डग्गामार बसों को निकालने के लिए सरकार को ठोस योजना बनानी होगी। नहीं तो यात्रियों को भगवान के भरोसे ही यात्रा करनी पड़ेगी।

सुमित श्रीवास्तव

सिविल लाइंस डिपो में आज तक साइनेज बोर्ड की व्यवस्था नहीं की गई है। यात्रियों को घंटों इधर उधर भटकना पड़ता है सिर्फ यह जानने के लिए कि फलां बस कहां जाएगी।

गुड्डू यादव

बिना टर्मिनल बनाए इलाहाबाद में बसों की असुविधा को दूर नहीं किया जा सकता है। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि आज तक किसी भी सरकार ने यहां दिल्ली की तरह टर्मिनल बनाने की योजना नहीं बनाई है।

संजय श्रीवास्तव