स्कूल बसों के चालकों को दिखाना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट

Meerut। स्कूली वाहनों के हादसों को रोकने और वाहनों की खस्ता हाल में सुधार के लिए अब परिवहन विभाग चालकों की फिटनेस जांच शुरू करने जा रहा है। इस नई व्यवस्था के तहत आरटीओ कार्यलय में फिटनेस और परमिट के लिए आने वाले सभी प्रकार के स्कूली वाहनों को पहले चालक की फिटनेस जांच करानी होगी फिर वाहन संचालन का परमिट मिलेगा।

स्वास्थ्य परीक्षण होगा

परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों की फिटनेस के साथ-साथ चालकों की फिटनेस को भी जरुरी मानते हुए यह नियम मेरठ जनपद में लागू किया है। इसके तहत स्कूली वाहन को निर्धारित मानकों पर खरा उतरना होगा। फिर उस वाहन को चलाने वाले चालक का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। स्वास्थ्य परीक्षण में अनफिट चालकों को वाहन चलाने की अनुमति नही दी जाएगी।

आई चेकअप जरूरी

स्वास्थ्य जांच में चालकों का आई चेकअप प्रमुख होगा। यदि चालक की आंख कमजोर है तो उसे जिला अस्पताल से इलाज कराकर फिटनेस सर्टिफिकेट देना। इसके अलावा चालक का फिजिकल वैरिफिकेशन भी किया जाएगा, जिसमें मुख्यता हाथ-पांव का मूवमेंट देखा जाएगा।

इस माह प्रशासन के आदेश पर स्कूली वाहनों की फिटनेस के लिए विशेष अभियान चलाया गया था। अभी कई वाहन फिटनेस से बच गए हैं जिनका फिटनेस कार्यालय में किया जाएगा। इसके साथ चालकों की भी फिटनेस जांच की जाएगी।

ओपी सिंह, आरटीओ प्रवर्तन

अब स्कूलों में नहीं रखे जाएंगे अनफिट ड्राइवर

आरटीओ की सख्ती के बाद स्कूलों ने भी लिया फैसला

ड्राइवर व कंडक्टर को अब देना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट

परिवहन विभाग की सख्ती के बाद अब स्कूल संचालकों ने भी ड्राइवर्स व कंडक्टर्स के लिए हेल्थ फिटनेस जरूरी कर दिया है। संबंधित आवेदकों को अपना मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा, वहीं पुराने ड्राइवर्स व कंडक्टर्स को भी अपना मेडिकल फिटनेस करवाना होगा।

सेलेक्शन के लिए जरूरी

फिजिकल फिटनेस का प्रमाणपत्र

आखों में समस्या न हो।

कैरेक्टर सर्टिफिकेट

हैवी वाहन का डीएल।

कम से कम 5 साल का अनुभव।

ड्राइवर या कंडक्टर शराबी न हो।

स्मोकर भी नहीं होना चाहिए

(यह नियम सीबीएसई के है.)

ये भी हैं नियम

स्कूलों को सभी वाहनों के पेपर जांच के लिए आरटीओ में जमा करवाने होंगे।

ड्राइवर-कंडक्टर्स के आईकार्ड, कैरेक्टर सर्टिफिकेट जमा करवाने होंगे।

ड्राइवर-कंडक्टर्स के फोन नंबर व नाम बस पर अंकित होंगे।

साल में एक बार बच्चों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देनी होगी।

स्कूली वाहनों की जांच आरटीओ के अलावा उप जिला अधिकारी, पुलिस विभाग व यातायात विभाग द्वारा भी की जाएगी।

बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए सभी स्कूलों ने यह फैसला लिया है कि ड्राइवर्स व कंडक्टर्स को अपना मेडिकल फिटनेस देना होगा। उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।

राहुल केसरवानी, अध्यक्ष, मेरठ सहोदय स्कूल्स