बजट में 2000 करोड़ रुपये हेल्थ इंश्योरेंस के लिए

2000 करोड़ रुपये का प्रावधान करते हुए बजट 2018 में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की थी कि सरकार 10 करोड़ गरीब परिवारों को हेल्थ कवर मुहैया कराएगी। इस योजना से 10 करोड़ परिवार के 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। इंश्योरेंस के प्रीमियम का खर्चा केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएंगे। इतनी भारी-भरकम स्कीम को लांच करने के लिए सिर्फ 2000 करोड़ रुपये के प्रावधान पर जेटली की जमकर आलोचना की गई। जानकारों का कहना था कि इस योजना में करीब 11 से 12 हजार रुपये का खर्चा आएगा। बजट के बाद बाद वित्तमंत्री जेटली ने सफाई देते हुए एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि 2 हजार करोड़ रुपये शुरुआती रकम है। आगले जितनी भी रकम की आवश्यकता होगी सरकार उसका प्रबंध करेगी। वित्तमंत्री ने साफ किया कि इस योजना को लांच करने में फंड में कमी नहीं आने दी जाएगी।

नीरव मोदी का फ्रॉड बताता है घोटाले की गंभीरता

भले ही नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन इंश्योरेंस स्कीम पर नीरव मोदी के घोटाले का असर न पड़े लेकिन फ्रॉड की रकम घोटाले की गंभीरता बताने के लिए काफी है। वित्तमंत्री ने इंश्योरेंस स्कीम के लिए धन की व्यवस्था एक परसेंट अतिरिक्त सरचार्ज और लांग टर्म इक्विटी फंड के जरिए जुटाने की बात कही है। अब जबकि 11500 करोड़ रुपये का घोटाला हो गया है। इसकी रकम नीरव मोदी ने नहीं दी तो घोटाले की आंच से आम आदमी बच नहीं पाएगा। जानकार मानते हैं कि यह रकम बैंक को प्रभावित करेगी तो बैंकों में जमा पूंजी के ब्याज पर असर होगा। बैंक अधिक ब्याज पर आम आदमी को कर्ज देंगे। क्योंकि कॉरपोरेट कर्ज की दर कम ही रखी जाती है। जब कर्ज महंगा होगा तो आम जनता के उपयोग की चीजें महंगी होंगी। चूंकि यह बैंक सरकार के स्वामित्व में है तो सरकार भी घाटा पूरा करने के लिए सरचार्ज या किसी कर की दर बढ़ाएगी।

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