- भ्रष्टाचार के मामले में जेल में निरुद्ध निलंबित एआरटीओ आरएस यादव को मिर्जापुर से लाकर कोर्ट में किया गया पेश

- विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने न्यायिक रिमांड पांच सितंबर तक बढ़ाई

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करप्शन व वसूली के मामले में निलंबित एआरटीओ आरएस यादव को बुधवार को मिर्जापुर की जिला जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस वैन से वाराणसी लाकर विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) एनके झा की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सुनवाई के दौरान आरोपी निलंबित एआरटीओ आरएस यादव की न्यायिक रिमांड पांच सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया। मुकदमे में सुनवाई पूरी होने के बाद पुलिस टीम आरएस यादव को लेकर मिर्जापुर के लिए रवाना हुई।

फेल हुआ पूरा प्लान

वसूली किंग के नाम से कुख्यात आरएस यादव के खिलाफ चार्जशीट काफी पहले ही विजलेंस और चंदौली पुलिस ने तैयार कर ली थी। लेकिन शासन से हरी झंडी न मिलने के कारण चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। वजह समायोजन के बाद आरएस यादव ने राजपत्रित अधिकारी का दर्जा भी हासिल कर लिया था। राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए शासन से अनुमति जरूरी होती है। सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव स्तर पर मामला रुकवा दिया गया था। उधर, विजलेंस और पुलिस के सामने यह मुश्किल थी कि यदि चार्जशीट 90 दिनों में दाखिल न होती तो आरएस को खुद ब खुद जमानत मिल जाती। चार्जशीट रोकवाने के लिए आरएस के कई आकाओं ने लखनऊ में डेरा जमा रखा था। लेकिन मुख्यमंत्री के तेवर व इस मामले में नजर रखने के कारण बात बिगड़ गई। बुधवार की दोपहर बाद मुख्य सचिव के निर्देश के बाद चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति का आदेश बंद लिफाफे में विशेष वाहक की ओर से रवाना करने की जानकारी मिलने पर विजलेंस ने राहत की सांस ली। गौरतलब है कि एआरटीओ की गिरफ्तारी बीते पांच जून को हुई थी।