21 जनवरी 16 से है पॉलीथीन पर बैन

50 टन पॉलीथीन की खपत राजधानी में

60 पॉलीथीन बनाने वाली फैक्ट्री शहर में

2 हजार से अधिक फैक्ट्री प्रदेश में हैं

फ्लैग- बैन के बाद भी बदस्तूर जारी है पॉलीथीन का उपयोग

- दो वर्ष पहले यूपी में लगाया गया था पॉलीथीन पर बैन

- प्रशासनिक लापरवाही के चलते धड़ल्ले से जारी है चलन

Lucknow@inext.co.in

LUCKNOW :

करीब दो वर्ष पूर्व कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने पॉलीथीन बैग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था। यह बैन निर्माण और बिक्री दोनों पर लागू था। उस समय इसका असर भी दिखाई दिया लेकिन प्रशासनिक सख्ती कुछ समय बाद गायब हो गई। आज फैक्ट्रियों में धड़ल्ले से पॉलीथीन का निर्माण हो रहा है। लखनऊ की मार्केट में ही रोजाना करीब 50 टन से अधिक पॉलीथीन की खपत हो रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली पॉलीथीन के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में इजाफा हुआ है। हर साल व‌र्ल्ड अर्थ डे पर इसके बैन की बात होती है लेकिन आगे कुछ नहीं होता।

2016 से बैन है पॉलीथीन

यूपी में कागजों पर 21 जनवरी 2016 से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए पॉलीथीन के प्रयोग पर रोक लगा दी गई थी। सरकार ने कहा था कि पॉलीथीन की बिक्री पूरी तरह से बैन होगी। प्रदेश भर में अभियान चलाकर बड़ी संख्या में इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद किया गया था। नगर निगम ने भी कार्रवाई करते हुए कई कुंतल पॉलीथीन जब्त की थी। लेकिन जब्त की गई पॉलीथीन का क्या किया जाए इस पर कोई ठोस रणनीति नहीं बनी और ना ही दुकानदारों और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर कार्रवाई की नीति। जिसके कारण पॉलीथीन की बिक्री आज भी जारी है।

बहुत अधिक है खपत

पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की माने तो अकेले राजधानी में ही करीब 50 टन से अधिक पॉलीथीन या कैरी बैग की डेली खपत है। राजधानी में करीब 60 और प्रदेश में 2000 से अधिक फैक्ट्रियों में इनका निर्माण हो रहा है। कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, लखनऊ, आगरा से पूरे प्रदेश में पॉलीथीन की सप्लाई की जा रही है।

कहां कितना उत्पादन

यूपी प्लास्टिक प्रोडक्ट एसोसिएशन के अनुसार छोटी फैक्ट्रियों में डेली कम से कम 3 क्विंटल बैग बनते हैं। वहीं बड़े प्लांट्स में चार से पांच टन तक रोज उत्पादन है। यूपी गवर्नमेंट ने प्रतिबंध के दायरे में हर प्रकार के पॉलीथीन के कैरी बैग, ग्रीटिंग कार्ड, निमंत्रण कार्ड, डायरी व अन्य सामान पर प्लास्टिक के कवर को रखा था।

नगर निगम ने खड़े किए हाथ

पॉलीथीन की बिक्री और यूज को रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम की थी। शुरुआत में सभी जोनों में अभियान चलाकर 8 से 10 क्विंटल पॉलीथीन जब्त की गई थी। इस जब्त पॉलीथीन का क्या करना है, यह तय नहीं था। जिससे आज भी यह पॉलीथीन निगम के गोदामों में पड़ी है। वहीं पिछले वर्ष केंद्र के निर्देश पर नियम आया था कि 50 माइक्रोन से नीचे की ही पॉलीथीन बैन है। इसका सहारा लेते हुए सभी पॉलीथीन पैकेट पर 51 माइक्रोन लिखा जाने लगा। जबकि ये इस माप से कम की हैं और नगर निगम और पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पास इसे नापने का कोई उपकरण भी नहीं है। जिसकी आड़ लेकर पॉलीथीन की बिक्री की जा रही है।

सीएम ने दिए थ्ो निर्देश

सरकार बनते ही सीएम योगी ने अधिकारियों को पॉलीथीन बैग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा था कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना सबकी जिम्मेदारी है। लेकिन इसके बाद भी पॉलीथीन बंद करने को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हुए।

इन शहरों में ज्यादा प्रोडक्शन

कानपुर

गाजियाबाद

मेरठ

सहारनपु

लखनऊ

इम्युनिटी हाे रही कम

केजीएमयू के डॉक्टर्स के अनुसार प्लास्टिक या पॉलीथीन में रखा गया खाना खाने से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। किडनी खराब होने के साथ ही कैंसर का भी खतरा रहता है। बहुत सी पॉलीथीन या प्लास्टिक में लेड और मरकरी होता है जो बहुत हानिकारक है।

कलर्ड प्लास्टिक से रहें दूर

सीडीआरआई के पूर्व साईटिस्ट प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्लास्टिक या पॉलीथीन को लचीला, ड्यूरेबल या टिकाऊ बनाने के लिए उसमें कई केमिकल मिलाए जाते हैं। ये हानिकारक हैं। रंगीन पॉलीथीन खाने को हानिकारक बना रही है। इसमें रखी सब्जी या अन्य सामान जहरीला हो जाता है। रंगीन प्लास्टिक रिसाइकिल करके बनाई जाती है। हाथ से रगड़ने पर यह कलर छोड़ती है। यही रंग जहरीला है।

जमीन कर रही बंजर

वैज्ञानिकों के अनुसार पॉलीथीन हवा और पानी में जहर घोल रही है। यह पानी का ऑक्सीजन लेवल कम कर देती है। वहीं इससे सीची गई फसलें शरीर में जाकर नुकसान पहुंचा रही हैं। पॉलीथीन जमीन को बंजर भी बना रही है।

प्रदूषण से जा रही है जान

- 10 करोड़ से अधिक लोग हर साल प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।

- 10 लाख से ज्यादा पक्षी और 10 करोड़ से ज्यादा स्तनधारियों की हर साल मौत।

- 20 फीसद प्रदूषित एरिया में रहने वाले लोगों को फेफडे़ के कैंसर की आशंका

- 30 लाख से अधिक बच्चे हर साल पांच साल से कम उम्र में प्रदूषण का बनते शिकार।

-10,000 से ज्यादा बच्चों की हर साल देश में प्रदूषित जल से मौत।

-5,000 से अधिक लोगों रोज प्रदूषित पानी के चलते मर जाते हैं।

पॉलीथीन के लिए दो मई से 5 जून तक लगातार अभियान चलाया जाएगा। नगर निगम की टीम के साथ पाल्यूशन कंट्रोल के भी अधिकारी रहेंगे। नगर निगम के सभी जोन में अभियान एक साथ चलेगा।

डॉ। राम करन

रीजनल आफिसर, यूपीपीसीबी