RANCHI: रिम्स में दिन के बारह बजे अचानक से इमरजेंसी की बत्ती गुल हो गई। जिससे कि पूरा इमरजेंसी वार्ड अंधेरे में डूब गया। वहीं गर्मी से मरीज परेशान हो गए। एक्सीडेंट वाले मरीज भी पर्ची के इंतजार में पड़े रहे। अंधेरे में डॉक्टरों को भी मरीजों का इलाज करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा इमरजेंसी के एडमिशन काउंटर में भी पर्ची नहीं काटी जा रही थी। जिससे कि मरीजों का इलाज ही शुरू नहीं हो पाया। इसकी जानकारी मेडिकल आफिसर ने अधिकारियों को दी लेकिन कोई देखने तक नहीं आया। जब काफी मरीजों की भीड़ इमरजेंसी में जमा हो गई तो इसकी जानकारी बिजली विभाग को दी गई। इसके बाद स्टाफ अवध किशोर भागते हुए पहुंचा और बिजली की सप्लाई शुरू की गई।

एक घंटे लाइन में इंतजार

बिजली नहीं होने के कारण इमरजेंसी काउंटर की मशीन भी बंद हो गई। इलाज के लिए पर्ची कटाने के लिए लोग लाइन में लगे थे। लेकिन लाइट नहीं होने के कारण काउंटर का स्टाफ भी काउंटर छोड़कर निकल गया। इस बीच काउंटर पर इमरजेंसी में दिखाने वालों की लंबी लाइन लग गई। एक्सीडेंट वाले मरीजों का भी इलाज पर्ची के इंतजार में लटका रहा।

एसटीएफ का जवान हूं और मुझे मलेरिया हो गया है। इसलिए रिम्स इलाज कराने के लिए आया। लेकिन एक घंटे से लाइट नहीं होने के कारण पर्ची ही नहीं काटी जा रही है। और बिना पर्ची के इलाज नहीं किया जा रहा है। लाइन में इंतजार करते-करते हालत खराब हो गई है।

रवि कुमार

कम से कम इमरजेंसी में तो लाइट की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। इतने मरीजों के परिजन लाइन में लगे हुए हैं। इमरजेंसी में इलाज कराना तो मंहगा पड़ जाएगा। स्टाफ भी काउंटर बंद करके चले गए। प्रबंधन को इमरजेंसी में व्यवस्था दुरुस्त रखने की जरूरत है।

प्रधान महतो

बिना पर्ची के डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं। अब लाइट आएगी तो पर्ची कटेगी। ब्भ् मिनट से लाइन में खड़ा हूं इस इंतजार में कि लाइट आ जाए। लाइट आने के बाद ही मरीज का इलाज हो पाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पर्ची नहीं कटेगी, तो क्या मरीज का इलाज नहीं होगा।

उत्तम कुमार

बच्चे के इलाज के लिए आए थे। इमरजेंसी में तो डॉक्टर ने देख लिया अब एडमिशन पर्ची कटे तब तो वार्ड में ले जाएं। इंतजार में काफी देर से बैठे हैं। इतनी भीड़ है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आखिर इमरजेंसी में तो ऐसा नहीं होना चाहिए।

सुनिल कुमार