- डिस्ट्रिब्यूशन के बढ़ते सब स्टेशन और ओवरलोड से ट्रांसमिशन पर मंडरा रहा खतरा

- ट्रांसमिशन के बैठने से शहर में किसी भी वक्त हो सकता है ब्लैक आउट

BAREILLY:

शहर में किसी भी पल ब्लैक आउट हो सकता है। क्योंकि सिविल लाइंस के 132 केवी ट्रांसमिशन की मियाद खत्म होने वाली है। बढ़ते लोड के चलते ट्रांसमिशन के फेल होने की संभावना काफी बढ़ गई है। हालांकि, इस समस्या को दूर करने में बिजली विभाग के अधिकारी लगे हुए हैं, लेकिन नये ट्रांसमिशन के अलावा दूसरा कोई मुफीद रास्ता नहीं है।

1989 का बना है ट्रांसमिशन

शहर में ट्रांसमिशन की स्थापना 4 सितम्बर 1989 में हुई थी। एक्सपर्ट की मानें तो, कोई बदलाव न किया जाये तो एक ट्रांसमिशन की मियाद 30 साल होती है। 132 केवी के बने इस ट्रांसमिशन से डिस्ट्रिब्यूशन के 5-5 एमवीए के 20 सब स्टेशन का लोड एक साथ दिया जा सकता है, लेकिन बरेली में 17 सब स्टेशन का लोड पहले से है। जो 5 एमवीए से अधिक के हैं। ऊपर से डेलापीर, मिशन हॉस्पिटल, मढ़ीनाथ और सिविल लाइंस 66 केवी सब स्टेशन के कैंपस सहित चार नए सब स्टेशन का निर्माण हो रहा है। जिला जेल के पास भी सब स्टेशन का काम होना है। ऐसे में ट्रांसमिशन किसी भी समय बैठ सकता है।

ट्रांसमिशन पर पूरा शहर है निर्भर

वैसे तो शहर में दो ट्रांसमिशन एक 132 केवीए सिविल लाइंस और दूसरा 40 एमवी बालीपुर से शहर को बिजली सप्लाई की होती है, लेकिन शहर का मैक्सिमम एरिया सिविल लाइंस स्थिति ट्रांसमिशन की कवर करता है। इस ट्रांसमिशन के माध्यम से एमईएस, दूरदर्शन, शहदाना, कुतुबखाना, सदर, कैंट, रामपुर गार्डेन और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को बिजली सप्लाई की जाती है। जबकि बालीपुर से मात्र नकटिया, आरयू मेडिकल कॉलेज और हरुनगला जैसे शहर के बाहरी एरिया को बिजली सप्लाई होती है। ऐसे में ट्रांसमिशन में फॉल्ट आया तो पूरा शहर अंधेरे में खो जाएगा। इससे शहर की पौने दो लाख कंज्यूमर्स इफेक्टेड होंगे।

एक और 132 केवी की जरूरत

शहर में 132 केवी के एक और ट्रांसमिशन की जरूरत है। कुछ साल पहले ट्रांसमिशन के अधिकारियों ने स्थिति से निपटने के लिए एक ट्रांसमिशन बनाने की पहल की थी। कैंट के रेलवे क्रॉसिंग पार जमीन देखी भी गयी थी। लेकिन, डिस्ट्रिब्यूशन ने यह बात कहते हुए प्लॉन को कैंसिल कर दिया था कि क्रॉसिंग के इस पार लाइन लाने में दिक्कत होगी। जिस वजह से ट्रांसमिशन बनाने की योजना लटक गई। अधिकारियों का कहना है कि शहर के बाहर ट्रांसमिशन के सब स्टेशन तो हैं, लेकिन वह सिर्फ बाहरी एरिया को ही कवर कर सकते हैं। शहर के ओवरलोड को वह बांट नहीं सकते है। शहर में स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए 132 केवी ट्रांसमिशन की और जरूरत है। बाहरी समस्याओं से निपटने के लिए फरीदपुर और मीरगंज में ट्रांसमिशन का सब स्टेशन बनाये जाने के लिए प्रस्ताव बना कर ट्रांसमिशन के अधिकारियों ने भेजा है।

एक ट्रांसमिशन की मियाद करीब 30 साल होती है। जिस हिसाब से डिस्ट्रिब्यूशन के सब स्टेशनों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से यह ट्रांसमिशन ज्यादा दिन लोड नहीं उठा पाएगा। शहर में एक और ट्रांसमिशन की जरूरत है। शहर के बाहर ट्रांसमिशन के सब स्टेशन है, लेकिन वह शहर के बिजली के लोड को बांट नहीं सकते हैं।

तुलसीराम, एक्सईएन, ट्रांसमिशन

एक नजर में

-20 सब स्टेशन 5-5 एमवीए के लोड की क्षमता

-17 के अलावा 5 नए सब स्टेशन का बढ़ेगा लोड

-30 वर्ष एक ट्रांसमिशन की मियाद, 27 साल हो चुके हैं पूरे

-1.75 लाख कंज्यूमर्स होंगे प्रभावित