RANCHI : रिम्स में मरीजों को मैदा वाली रोटी खिलाई जा रही है। इलाज कराने आए मरीज अगर इस रोटी को खाएंगे तो उनकी बीमारी भला कैसे ठीक होगी? रिम्स में अनियमितताओं की शिकायत मिलने के बाद जांच के लिए आई विधानसभा लोक लेखा समिति के सदस्य किचन में गंदगी देख भड़क उठे। उन्होंने यहां के हाईजेनिक सिस्टम पर कैसे सवाल खड़ा किए। समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर ने गंदी थाली और मरीजों के लिए बनी रोटियों पर मक्खियों को मंडराता देख डायरेक्टर को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि गंदे किचन में बना भोजन मरीजों को खिलाना उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ करना है। उन्होंने मौके पर मौजूद एक्टिंग डायरेक्टर डॉ आरके श्रीवास्तव को किचन की व्यवस्था दुरूस्त करने को कहा।

दस दिन में सौंपेंगे रिपोर्ट

रिम्स का जायजा लेने के लिए विधानसभा के लोक लेखा समिति के सदस्यों के आने की जानकारी होने के बाद रिम्स में हड़कंप मच गया। उनके इंस्पेक्शन के दौरान जो चिकित्सक व स्टाफ गायब थे, उन्हें जब इसकी जानकारी मिली तो वे दौड़े-भागे पहुंचें। वे समिति के समक्ष अपनी सफाई देते नजर आए। इस बाबत समिति के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने रिम्स की व्यवस्था देख ली है। इस बाबत दस दिनों के अंदर विधानसभा को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

नहीं मौजूद थे डायरेक्टर

विधानसभा की लोक लेखा समिति के सदस्यों के इंस्पेक्शन के दौरान डायरेक्टर डॉ बीएल शेरवाल मौजूद नहीं थे। इसपर समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि उन्हें भी जानकारी मिली है कि महीने में कुछ ही दिन वे रिम्स में ड्यूटी करते हैं। ज्यादातर दिन वे बाहर रहते हैं। ऐसे में रिम्स की व्यवस्था कैसे सुधरेगी, सहज ही समझा जा सकता है।

पसरी थी गंदगी, खुले थे ड्रेन होल

लोक लेखा समिति के सदस्यों ने किचन के रास्ते सुपरस्पेशियलिटी विंग तक का भी जायजा लिया। इस दौरान मेन बिल्डिंग के पीछे पसरी गंदगी और ड्रेन होल खुला देख वे भड़क गए। उन्होंने एक्टिंग डायरेक्टर से जब इस पर जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि वे कुछ ही दिन डायरेक्टर के चार्ज में रहते हैं, ऐसे में पूरी व्यवस्था को कैसे ठीक से देख पाएंगे।

कई डॉक्टर के चैंबर में लगा था ताला

रिम्स के कई वार्डो का भी लोक लेखा समिति के सदस्यों ने जायजा लिया। इस दौरान कई एचओडी और असिस्टेंट प्रोफेसर गायब थे। चिकित्सकों के चैंबर में ताला लटका था। समिति के सदस्यों ने इसपर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि रिम्स में सेवा दे रहे चिकित्सकों को आकर्षक वेतन दिया जा रहा है। यहां सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी चिकित्सकों का ड्यूटी के दौरान मौजूद नहीं होना चिंता की बात है।

4 करोड़ का एंबुलेंस किस काम का

समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि नेशनल गेम्स के समय दो-दो करोड़ रुपए के दो एंबुलेंस खरीदे गए थे। लेकिन, आजतक उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। इस बारे में जब प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने चालक नहीं होने का बहाना बनाया। वहीं सुपरस्पेशियलिटी में बंद पड़ी मशीनों को चालू कराने के लिए मैन पावर की कमी को भी दूर नहीं पाया है। जबकि 2008 में ही केंद्र सरकार ने मशीनें देने की घोषणा कर दी थी।

मिली थी शिकायत, इसलिए आई टीम

ऑडिटर जेनरल (एजी) ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें रिम्स से जुड़े कई मामलों पर आपत्ति भी जताई थी। इसी को लेकर पब्लिक अकाउंट्स कमिटी के मेंबर्स ने रिम्स अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें दवाओं की अवेलिवलिटी, डॉक्टर्स और स्टाफ्स की कमी पर भी चर्चा हुई। साथ ही कहा गया कि 2005-06 में लगभग 100 करोड़ रुपए दिए गए थे। जिससे कि सुपरस्पेशियलिटी विंग के विस्तार में खर्च किया जाना था। लेकिन आजतक उसका भी हिसाब नहीं मिल पाया।