रेल मंत्रालय ने खाने की damge quality के लिए ठहराया जिम्मेदार
खुद के बचाव में IRCTC को जिम्मेदार बताते हुए हरकत में आया रेवले
Tweet कर दी सफाई, कहा new catering policy पर रेलवे तैयार कर रहा plan
ALLAHABAD: स्टेशनों पर व ट्रेनों में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं की प्लानिंग करने और पैसेंजर्स को पहले से ही बेस्ट फैसिलिटी देने का दावा कर रहे रेल मंत्री सुरेश प्रभु की पोल भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 'कैग' की रिपोर्ट ने खोल दी है। रिपोर्ट के मुताबिक 'रेलवे का खाना लोगों के खाने लायक नहीं है'। कैग की रिपोर्ट से जब रेलवे सवालों के कठघरे में खड़ा हुआ तो रेल मंत्रालय ने कैटरिंग सेवा में अव्यवस्था का आरोप आईआरसीटीसी पर मढ़ते हुए शनिवार देर रात ट्वीट करके आईआरसीटीसी को ही जिम्मेदार ठहराया। साथ ही न्यू कैटरिंग पॉलिसी के साथ व्यवस्थाओं में जल्द सुधार का दावा किया।
सफाई से दी 'सफाई'
रेल मंत्रालय के ट्वीट में कहा गया कि सभी जिम्मेदारी आईआरसीटीसी की है। शिकायतों के लिए वही जिम्मेदार है। जोनल स्तर पर रेलवे पैंट्री कार का ठेका भी आईआरसीटीसी ने ही दिया है। रेलवे की खान-पान व्यवस्था को लेकर पैसेंजर्स वर्षो से शिकायत करते रहे हैं। रेलवे ने फरवरी 2017 में न्यू कैटरिंग पॉलिसी पूरे देश में लागू करने का प्लान तैयार किया था, मगर, प्लान अब तक लागू नहीं हो सका है।
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प्राइवेट ठेकेदारों की होगी छुट्टी
नई कैटरिंग पॉलिसी में तय किया गया है कि किचन और खाने की क्वालिटी से संबंधित मामलों के लिए आईआरसीटीसी जिम्मेदार होगा। प्राइवेट ठेकेदारों को हटाया जाएगा। ट्रेनों में सप्लाई होने वाला खाना आईआरसीटीसी के किचन के अलावा कहीं और से नहीं जाएगा। सभी मोबाइल यूनिट्स पर आईआरसीटीसी ही कैटरिंग सर्विस करेगा। सभी ट्रेनों के लिए खाना सिर्फ तय किए गए किचन से लिया जाएगा।
फैक्ट फाईल-
23
मिलियन पैसेंजर ट्रेन के थ्रू पर-डे सफर करते हैं
1.1
मिलियन पैसेंजर्स को ट्रेन में पर-डे अवेलेबल कराया जा रहा है भोजन
360
जोड़ी ट्रेनें देश में पेंट्री कार के साथ ट्रैक पर दौड़ रही हैं
1800
ट्रेनों में अवेलेबल है ई-कैटरिंग व्यवस्था
357
स्टेशनों के साथ सभी ए-वन और बी-वन स्टेशनों पर अवेलेबल है ई-कैटरिंग
पैसेंजर्स की लगातार मिल रही शिकायत के आधार पर रेलवे ने कैटरिंग पॉलिसी में बदलाव का निर्णय लिया है। इसे जल्द लागू किया जाएगा। आने वाले दिनों में काफी बदलाव दिखेगा। पैसेंजर्स को बेस्ट सुविधाएं मिलेंगी।
अमित मालवीय, पीआरओ, एनसीआर