- ग्रीन स्कूल-क्लीन स्कूल योजना में रोज खुल रहे घोटालों के राज

- जांच कमेटी में एक भी प्रिंसिपल को नहीं किया गया शामिल

LUCKNOW:

ग्रीन स्कूल-क्लीन स्कूल योजना में राजकीय स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए दिए गए बजट में जमकर खेल किया गया है। स्कूलों में काम पूरा न होने के बाद भी कार्यदायी संस्था पैकफेड को धनराशि का भुगतान कर दिया गया। स्थिति यह है कि कहीं तो सिर्फ पुताई ही हुई और पैसा खत्म हो गया। बीते दिनों जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ। मुकेश कुमार सिंह की ओर से किए गए निरीक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को मामले से अवगत कराते हुए संबंधित संस्था को नोटिस जारी करने की बात कही है।

50-50 लाख का बजट दिया

राजधानी के सात राजकीय इंटर कॉलेजों को स्मार्ट बनाने के लिए 50-50 लाख रुपए प्रति बजट दिया गया था। योजना थी कि इसमें स्टूडेंट्स के लिए स्मार्ट क्लास बनाई जाए। पीने के पानी से लेकर खेल का मैदान, लाइब्रेरी, प्रयोगशाला सहित अन्य सुविधाएं दी जाएं। लेकिन जिम्मेदारों ने इस बजट में खेल कर दिया। कार्यदायी संस्था को पैसा मिल गया और काम भी पूरा नहीं हुआ।

एक अगस्त को निरीक्षण

डीआईओएस डॉ। मुकेश कुमार सिंह के मुताबिक बीते एक अगस्त को उन्होंने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज माल का निरीक्षण किया। यहां पुताई की जा रही थी। लेकिन पुताई से पहले सीलन से बचाव के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई गई, जिससे सीलन आ गई है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में काम अधूरा है, फिर भी सारी धनराशि पैक्सफेड संस्था को दी जा चुकी है।

कमेटी में नहीं शामिल की गई प्रिंसिपल

राजकीय बालिका इंटर कॉलेज माल की जांच में सामने आया कि योजना के तहत विद्यालयवार आवश्यकता के आधार पर कार्यो का प्रस्ताव तैयार का कार्य कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल को निर्देश के बाद भी कमेटी में न रखते हुए कोई बैठक भी नहीं बुलाई गई।