JAMSHEDPUR: देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के साथ ही सेंदरा पर्व का आगाज हो गया है। रविवार को आसनबनी गांव के टोला जामडीह में परंपरा के अनुसार वन के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गई। लाया धनंजय पहाडि़या और उप लाया देवेन कर्मकार ने पूजा कर जंगल में प्रवेश कर शिकार खेलने की अनुमति मांगी। लाया ने देवी-देवताओं की पूजा कर अच्छी बारिश, अच्छी उपज, स्वच्छ पर्यावरण, महामारी से रक्षा व सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।

दूसरी ओर फदलोगोड़ा में दलमा पहाड़ की तलहटी पर दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने पारंपरिक तरीके से वन के देवी-देवताओं का आह्वान किया। उन्होंने वन में प्रवेश व शिकार खेलने का अनुमति मांगने के साथ सेंदरा वीरों की सुरक्षा का कामना किया। सेंदरा पूजा के दौरान पारंपरिक तीर-धनुष, फरसा, कुल्हाड़ी, तलवार समेत अन्य पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र व वाद्य यंत्रों की भी पूजा की गई।

कम हो रहा उत्साह

जामडीह के लाया यानि पूजारी धनंजय पहाडि़या ने बताया कि सेंदरा का उत्साह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। राजतंत्र के समय से दलमा शिकार के पूर्व जामडीह में पूजा-अर्चना कर वन के देवी-देवताओं से अनुमति मांगते थे। अब दो स्थानों में पूजा होता है। इसके साथ युवाओं में सेंदरा के प्रति रुझान नहीं है। अब अधिकांश लोग सेंदरा में शिकार करने नहीं वरण परंपरा निभाने के लिए दलमा जाते हैं। उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से सामाजिक एकता, अखंडता, अन्याय व अत्याचार के खिलाफ लड़ने की ताकत देने, समाज को विकास के पथ पर आगे ले जाने की शक्ति देने के लिए भी वन देवी-देवताओं से प्रार्थना की गई।

आज कूच करेंगे दलमा

दिशुवा शिकार के लिए रविवार को कई स्थानों से सेंदरा वीर दलमा के तलहटी पर पहुंचने लगे। सेंदरा में पारंपरिक हथियारों के साथ झारखंड के विभिन्न स्थानों के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा से भी सेंदरा वीर दलमा पहुंचते हैं। सेंदरा वीर सोमवार को तड़के सेंदरा के लिए दलमा के घने जंगलों में कूच करेंगे। कई सेंदरा वीर रविवार को पूजा में भी शामिल हुए। पारंपरिक हथियारों से लैस सेंदरा वीर यानी आदिवासी शिकारी सोमवार को सुबह चार बजे दलमा जंगल पर चढ़ाई करेंगे। दलमा में वे परंपरा के अनुसार जंगली जानवरों का सेंदरा यानि शिकार करेंगे। दिन भर शिकार करने के बाद शाम तक शिकार किए गए जानवरों को लेकर वापस लौटेंगे।

हुआ सिंगराई कार्यक्रम

आसनबनी फुटबॉल मैदान में रविवार की रात सिंगराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। देर रात हुए सिंगराई में कई सेंदरा टीमों ने भाग लिया। सामाजिक मान्यता के अनुसार वीर सिंगराई सामाजिक पाठशाला है। इसमें युवाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम में युवाओं ने पारिवारिक जीवन के मूल मंत्रों को जाना। इस अवसर पर समाज के बुजुर्ग नौजवानों को सामाजिक व पारिवारिक जीवन के गुढ़ रहस्यों की जानकारी देते हैं।