स्लग: टीचर्स की बहाली नहीं, रिसर्च स्कॉलर व नेट पास टीचर्स के भरोसे सेकेंड शिफ्ट

-घंटी आधारित मानदेय के कारण नेट पास टीचर्स बेरोजगारी की कगार पर

Figures speak

8000 स्टूडेंट्स हुए सेकेंड शिफ्ट क्लास शुरू होने के बाद

4500 स्टूडेंट्स थे पीजी डिपार्टमेंट्स में पहले

2015 में शुरू हुई सेकेंड शिफ्ट क्लासेज

600 रुपए प्रति क्लास मानदेय मिलता है टीचर को

RANCHI (13 Aug): रांची यूनिवर्सिटी के ख्ब् पीजी डिपार्टमेंट्स में सेकेंड शिफ्ट में क्लासेज शुरू होने से सीटें तो लगभग दोगुनी हो गई, पर इनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ये क्लासेज अधिकतर रिसर्च स्कॉलर और नेट पास टीचर्स के जिम्मे हैं। इन्हें घंटी आधारित मानदेय अर्थात म्00 रुपए प्रति क्लास दिया जाता है। जबकि स्थाई टीचर्स को लगभग डेढ़ लाख रुपए तनख्वाह मिलती है। जब छुट्टियों में डिपाटमेंट्स बंद रहते हैं तो घंटी आधारित क्लासेज होने के कारण नेट पास टीचर्स के समक्ष बेरोजगारी की नौबत आ जाती है।

नौकरी की चिंता, कैसा पढ़ाएंगे

रांची यूनिवर्सिटी पीजी छात्र संघ के अध्यक्ष तनुज खत्री ने बताया कि वर्ष ख्0क्भ् से पीजी डिपार्टमेंट्स में सेकेंड शिफ्ट में पढ़ाई शुरू हुई। पहले पीजी डिपार्टमेंट्स में सीटों की संख्या ब्भ्00 के आसपास थीं, जो सेकेंड शिफ्ट की पढ़ाई शुरू होने के बाद 8000 हो गई। झारखंड चूंकि आदिवासी बहुल इलाका है तो यहां ग्रामीण क्षेत्रों में चलनेवाले कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई करने के लिए स्टूडेंट्स रांची आते हैं। सेकेंड शिफ्ट की पढ़ाई शुरू होने पर यहां के युवाओं को पीजी की पढ़ाई का मौका तो मिला, पर उसके अनुरूप टीचर्स की बहाली नहीं की गई। सेकेंड शिफ्ट पूरी तरह से रिसर्च स्कॉलर और नेट पास घंटी आधारित टीचर्स के भरोसे छोड़ दी गई। चूंकि घंटी आधारित शिक्षक स्थाई नहीं हैं इसलिए वे नौकरी के लिए सोचते रहते हैं। ऐसे में उनका पूरा ध्यान पढ़ाने में नहीं लग पाता। सरकार यदि जेपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति करती तो यह स्थिति नहीं आती और यहां के लोगों को मौका मिलता। इस बाबत रांची यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि नेट पास शिक्षकों के लिए सरकार ने म्00 रुपए प्रति क्लास का मानदेय निर्धारित किया है। वह राशि उन्हें दी जाती है।

मौसमी बेरोजगारी झेल रहे टीचर्स

यूनिवर्सिटी के पीजी कॉमर्स डिपार्टमेंट में बतौर गेस्ट टीचर सेवा दे रहे आदित्य कुमार ने बताया कि यूनिवर्सिटी में साल में लगभग छह महीने छुट्टियां होती हैं। ऐसे में हमारी मासिक आय औसतन क्भ्,000 रुपए महीने की है। जब छुट्टियां होती हैं तो हमलोगों के सामने सीजनल बेरोजगारी झेलना मजबूरी होती है। डिपार्टमेंट के एक और गेस्ट टीचर ने बताया कि हम नेट क्वालिफाइड हैं और हमें सरकार को समान कार्य के लिए समान वेतन देना चाहिए। जबतक स्थाई नियुक्ति नहीं होती है तब तक हमें कांट्रैक्ट पर कार्यरत मानकर निर्धारित वेतनमान देना चाहिए।

फैक्ट फाइल

- क्ख् जुलाई क्9म्0 को हुई थी रांची यूनिवर्सिटी की स्थापना

-एमबीए और मास कॉम डिपार्टमेंट को मिलाकर कुल ख्ब् पीजी डिपार्टमेंट्स हैं यूनिवर्सिटी में

- सेकेंड शिफ्ट में कॉमर्स डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा स्टूडेंटस हैं

- दिन के एक बजे से शाम साढ़े चार बजे तक चलती हैं सेकेंड शिफ्ट की कक्षाएं

वर्जन

नेट पास शिक्षकों को घंटी आधारित मानदेय जो सरकार की ओर से तय किया गया है वह दिया जा रहा है। स्थाई शिक्षकों की बहाली सरकार के स्तर से ही होनी है।

-डॉ रमेश कुमार पांडेय, वीसी आरयू