दैनिक जागरण के आठवें फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने पहुंची निर्देशक सीमा कपूर ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से निजी जीवन की यादें की साझा

ALLAHABAD: ओम पुरी साहब की सादगी ही उनकी सबसे बड़ी पहचान थी। वे जिससे एक बार मिल लेते थे उसके बाद वह शख्स कही पर भी मिल जाए उसे पुरी साहब बिना देरी किए पहचान जाते थे। उनकी इसी अदा ने मुझे बहुत प्रभावित किया और जीवन साथी के रूप में मैंने उन्हें पसंद किया। अभिनेता ओम पुरी का निधन छह जनवरी को हुआ था। उनके निधन ने सीमा कपूर को अंदर तक हिला दिया था। सीमा कपूर ने अपनी माताजी कमल शबनम के एक शेर 'जीने की मजबूरियां उस पर बूढ़ी देह, सूखे पत्तों से बढ़ा बरगद का स्नेह' से अपना दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि पुरी साहब के सपने को साकार करने के लिए ही फिल्म मिस्टर कबाड़ी को पूरा किया। आज वह दुनिया में नहीं है लेकिन 'मिस्टर कबाड़ी' से उनकी यादें हमेशा मेरे जेहन में बनी रहेंगी।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हुई थी मुलाकात

यह बातें प्रख्यात निर्देशिका और स्व। ओम पुरी की पत्‍‌नी सीमा कपूर ने शुक्रवार को आठवें जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर से साझा की। उन्होंने बताया कि मेरी पुरी साहब से पहली मुलाकात नेशनल स्कूल आफ ड्रामा में प्ले के दौरान बड़े भाई रंजीत कपूर के साथ हुई थी। मेरे भाई और पुरी साहब दोनों अच्छे दोस्त थे। उनकी सादगी ने मुझे प्रभावित किया और हम दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगी। दोनों की शादी वर्ष 1990 में राजस्थान के झीलवाड़ा में हुई।

इलाहाबाद में होगी 'सिट्टी पिट्टी गुम' की शूटिंग

बॉलीवुड की निर्देशिका सीमा कपूर की तीसरी फिल्म 'सिट्टी पिट्टी गुम' की शूटिंग इलाहाबाद में होगी। जो नवम्बर से प्रारंभ होगी। सीमा कपूर ने बताया कि मिस्टर कबाड़ी की ही तरह यह फिल्म भी व्यंग्य प्रधान होगी। उन्होंने बताया कि पहली बार ओम पुरी के साथ 1980 में इलाहाबाद आई थी लेकिन 36 साल के बाद शहर की आबोहवा में बहुत कुछ बदल गया है।