'ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन। जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन'। सुपरहिट सॉन्ग की ये लाइन अब बनारस में थोड़ी मॉडिफाई हो चुकी है। यहां तो गाना पड़ता है 'न देश की सीमा है, नाम धर्म का है बंधन'। जी हां, बनारस में शादी के मामले में दो देशों और दो धर्मो की वर्जनाएं टूट रही हैं और नये रिश्ते बन रहे हैं। धर्म की नगरी कहे जाने वाली बनारस में अब ऐसे पेंचीदे रिश्तों को कानूनी जामा पहनाने का काम स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हो रहा है।

VARANASI

जापान की सजिको जिसबो पिछले साल बनारस घूमने आई। लेकिन यहां दिलद दे बैठी एक बनारसी छोरे विनय को। दोनों ने शादी को प्लान किया लेकिन इसमें कानूनी अड़चन बहुत थे। लिहाजा दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपनी रजिस्टर्ड शादी की। अब दोनों साथ हैं।

एक कानून है सहारा

धर्म की नगरी बनारस में सजिको और विनय की तरह बहुत से जोड़े हैं जो भाषा और मजहब की वर्जनाओं से आगे बढ़ कर एक दूसरे जीवनसाथी बनाने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। इसके लिए इनके पास एक ही कानूनी तरीका होता है। ये खुद को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के बंधन में बांधते हैं। आम बोलचाल में इसे कोर्ट मैरिज भी कहते हैं।

बढ़ रहे हैं केसेज

बनारस में स्पेशल मैरिज के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी आंकड़े इसके गवाह हैं। इन आंकड़ों में सिर्फ इंडियन वेड्स फारेनर्स कपल ही नहीं हैं। बल्कि मुस्लिम वेड्स हिन्दू और हिन्दू वेड्स मुस्लिम जैसे केसेज भी हैं। कुछ केसेज में हिंदू वेड्स क्रिश्चियंस कपल भी हैं। पहले स्पेशल मैरिज के साल में 8 से क्0 केस या कभी कभी एक दर्जन तक केस ही आते थे। लेकिन इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक फ्0 जोड़े शादी के लिए आवेदन कर चुके हैं जिसमें से क्ख् की शादी हो भी चुकी है। इसमें दो धर्मो के जोड़े के आवेदन सबसे ज्यादा हैं।

गैर धर्म में शादी के मामले अधिक

स्पेशल मैरिज का चलन बनारस में नई बात नहीं है। हर साल दर्जनों विदेशी बनारस आने के बाद यहां की संस्कृति और रहन सहन से प्रभावित होकर यही पर अपना लाइफ पार्टनर तलाश लेते हैं। हालांकि अब विदेशियों से ज्यादा अप्लीकेशन गैर धर्म की शादी के आ रहे हैं।

ऐसे बन रही हैं 'स्पेशल' जोडि़यां

(फीगर स्पीक)

- फ्0 जोड़ों ने ख्0क्7 में अब तक किया है अप्लाई

- क्ख् जोड़ों को कानूनी प्रक्रिया के बाद मिला है सर्टिफिकेट

- म् केस हिन्दू लड़का और मुस्लिम लड़की के शादी का

- क् केस मुस्लिम लड़का और हिन्दू लड़की के शादी का

- 8 केस विदेशी संग भारतीय नागरिक से शादी के

क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट?

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत बिना धर्म बदले भी शादी हो सकती हैं। इस के लिए अपने क्षेत्र के मैरिज अधिकारी, एसडीएम, डीएम, मैरिज पंजीयक या किसी भी सक्षम अधिकारी के पास अर्जी लगानी होती है। आवेदन मिलने पर अधिकारी फ्0 दिन की नोटिस जारी कर आपत्ति मंगवाते हैं। इसके लिए बकायदा ऑफिस के बाहर लड़का लड़की की फोटो के साथ नोटिस बोर्ड पर फार्म को चस्पा किया जाता है। ये भी जांच होती है कि अप्लाई करने वाले में कोई पक्ष नाबालिक या शादी-शुदा तो नहीं। फ्0 दिन में आपत्ति न आने पर कागजी प्रक्रिया पूरी कर सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है।

स्पेशल मामलों में स्पेशल मैरिज

- बनारस में तेजी से बढ़ा है स्पेशल मैरिज का चलन।

- बनारसी और विदेशियों में खूब हो रही है शादी।

- गैर धर्म में शादी करने वाले भी लगाते हैं यहां लाइन।

- जनवरी से जुलाई तक फ्0 जोड़ों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दिया रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन।

- अब तक क्ख् कपल्स को जारी हो चुका है मैरिज सर्टिफिकेट।

स्पेशल मैरिज एक्ट में किसी एक का स्थानीय नागरिक होना जरुरी है। इसी के तहत रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस होता है। एप्लीकेशन आने के बाद नोटिस बोर्ड पर इसे चस्पा कर जांच के बाद ही सर्टिफिकेट जारी होता है। इसमें किसी भी धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म के लड़का या लड़की से शादी के लिए आवेदन कर सकता है।

-जितेन्द्र मोहन सिंह, एडीएम सिटी