- राजधानी की निहारिका ने यूपीएसी में नाम किया रोशन

- टॉपर का कहना सही टाइमिंग और फोकस्ड पढ़ाई करना ही है सक्सेस मंत्रा

LUCKNOW: सिविल सर्विसेज एग्जाम 2014 का सैटरडे को रिज्लट घोषित कर दिया गया। इसमें राजधानी के दस होनहारों ने सफलता का परचम लहराया है। टॉपर्स में लड़कियों ने बाजी मारी है। इन सबने सक्सेस का मंत्रा सही टाइमिंग और गुणवत्ता वाली पढ़ाई को बताया। इस परीक्षा में लखनऊ से 146 रैंक पाकर निहारिका भट्ट और 176 रैंक के साथ सौम्या मिश्रा इसमें आगे रही हैं। वहीं, हरिओम दुबे ने 253 रैंक, अक्षत जैन ने 404 रैंक, गरिमा त्रिपाठी ने 611 रैंक, अरिमा भटनागर ने 665 रैंक, हिमांशु मोहन ने 858 रैंक, आशुतोष गुप्ता ने 946 रैंक व डॉ। योगेश कुमार सागर ने 867 रैंक समेत अन्य शामिल हैं। सौम्या इससे पहले भी सिविल सर्विसेज में सेलेक्ट हो चुकी हैं। 201 रैंक हासिल कर उनका चयन आईपीएस के लिए हुआ था।

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निहारिका भट्ट: रैंक 146

बिना कोचिंग गये पाई सफलता

केजीएमयू के रेडियोथिरेपी विभाग के एचओडी प्रो। एमएल भट्ट की बेटी निहारिका भट्ट ने 146 रैंक हासिल की है। निहारिका ने बताया कि बिना कोचिंग के उन्होंने यह सफलता हासिल की है। उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए समाजशास्त्र विषय चुना था। उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर मौजूद विषय सामग्री से उन्हें काफी मदद मिली। वह कहती हैं कि मई 2014 से उन्होंने सभी दोस्तों व रिश्तेदारों दूरी बना रखी थी। पूरा साल एग्जाम की तैयारी में गुजार दिया। निहारिका ने अमेरिका से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में एमटेक किया था। पढ़ाई पूरी होते ही अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में सरकारी फूड एंड ड्रग्स एड्मिनिस्ट्रेशन विभाग में रिसर्चर के तौर पर जॉब शुरू की। डेढ़ साल जॉब करने के बाद मई 2014 में नौकरी से इस्तीफा दिया और सिविल सर्विसेज की तैयारी करने अपने देश वापस आ गई। निहारिका सिविल सर्विसेज में मिली सफलता का पूरा श्रेय अपने पैरेंट्स को देती हैं।

क्यों चुना आईएएस

निकारिका ने बताया कि जॉब के दौरान लगा कि अमेरिका में काम करके लगा कि सरकार के द्वारा बड़ा इम्पैक्ट ला सकते हैं। फिर मुझे लगा कि अपने कंट्री के लिए काम करें। यही से सबसे मोटीवेशन लेकर निर्णय लिया और आ गए अपने देश। यहां आते ही तैयारी शुरू कर दी।

युवाओं के लिए टिप्स

जो भी सब्जेक्ट चुनें उसे मन लगाकर पढ़ें। हर विषय से जुड़ी डिटेल्ड जानकारी इंटरनेट पर है। उससे हेल्प लें। विषय की तैयारी प्रशासनिक क्षमता को नजर में रखकर करें।

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सौम्या मिश्रा : रैंक 176

आईपीएस में सलेक्ट हो चुकी है सौम्या

12 जून 2014 को यूपीएसई-2013 के नतीजे जारी किए गए। सौम्या मिश्रा को इसमें 201 रैंक मिली। रैंक काफी अच्छी थी। आईपीएस के पद पर ज्वाइनिंग भी मिल गई। मगर सौम्या कुछ और बेहतर करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने एक बार फिर परीक्षा में शामिल होने का मन बना लिया। यह सफलता उसी दृढ़ निश्चय का परिणाम है। सौम्या के पिता ज्ञानेन्द्र देव मिश्रा पीसीएस अधिकारी हैं। वह इंटर्नल ऑडिट विभाग में निदेशक हैं। मां ऊषा मिश्रा गृहणी हैं। सौम्या ने जेआरएफ निकालने के बाद पीएचडी की तैयारी भी शुरू कर दी है।

सक्सेज मंत्रा : एनसीईआरटी की किताबों पर फोकस करें और क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस जरुरी है।

टिप्स : स्ट्रैटजी बनाकर तैयारी करें। अपना टाइम टेबल खुद बनाएं और उसे फॉलो भी करें।

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अरिमा भटनागर : रैंक 665

चैलेंज लेने की चाह ने दिलाई सफलता

वर्ष 2006 में लामार्टीनियर ग‌र्ल्स कॉलेज से 12वीं करने वालीं अरिमा भटनागर को चैलेंज काफी पसंद हैं। स्कूल के निकलने के बाद के नौ सालों में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन अरिमा मानती हैं कि उनके आत्मविश्वास और पत्रकार पिता संजय भटनागर के हौसले ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने का जच्बा दिया। स्कूल के बाद अरिमा ने 2010 में एनआईटी इलाहाबाद से बीटेक पूरा कर एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की। कुछ बेहतर करना था इसलिए बैंक पीओ का एग्जाम का पास कर नौकरी शुरू कर दी। मगर आगे बढ़ने की चाह में अरिमा ने इस नौकरी को छोड़ सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गई।

सक्सेज मंत्रा : प्लानिंग के साथ रेगुलर स्टडीज से सफलता मिलना तय है। तैयारी के दौरान आत्मविश्वास बेहद जरूरी है।

टिप्स : एनसीईआरटी पर जरूर ध्यान दें। ज्यादा से ज्यादा पढ़ने के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देना जरुरी।

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सौरभ शर्मा : रैंक 769

संस्कृत के सहारे निकाला कॉम्पटीशन

एक मिथक है कि संस्कृत भाषा पढ़ने वाले छात्रों के लिए नौकरी नहीं है। मगर सिटी के सौरभ ने इस मिथक को तोड़ दिया। सौरभ ने इस भाषा के सहारे सिविल सर्विसेज जैसी देश की टॉप परीक्षा को पास किया। सौरभ बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ आठवीं तक संस्कृत को पढ़ा था। बाद में, बीबीडी से बीटेक भी किया। सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान जब संस्कृत का सिलेबस देखा तो लगा कि इसके सहारे सफलता पाई जा सकती है और शुरू कर दी तैयारी। वर्तमान में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत उनके पिता सचिवालय में समीक्षा अधिकारी हैं। यह सौरभ का चौथा प्रयास था।

सक्सेज मंत्रा : ईमानदारी के साथ की गई मेहनत अंतिम लक्ष्य तक जरूर पहुंचाती है। एक टॉपिक पर कई किताबों को पढ़ने के बजाय एक किताब को कई बार पढ़ना चाहिए।

टिप्स : खुद पर विश्वास रखें। मुश्किल आएंगी। फैंसले कम न होने थे तो सफलता मिलना तय है।

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डॉ। योगेश कुमार सागर : रैंक 867

पहले ही प्रयास में हासिल की सफलता

केजीएमयू के एमबीबीएस कर बदायूं में मेडिकल ऑफिसर डॉ। योगेश कुमार सागर सैटरडे को इंदिरानगर स्थित अपने घर में बैठे थे। यूपीएसई ने शाम तक नतीजे जारी करने की घोषणा की थी। इसलिए वह सिर्फ नतीजे का वेट कर रहे थे। करीब तीन बजे के आसपास दोस्त प्रदीप ने फोन कर बताया कि उनको 867 रैंक मिली है। योगेश को पहले भरोसा नहीं हुआ लेकिन थोड़ी ही देर में बधाइयों का तांता लग गया। योगेश कहते हैं कि उन्होंने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की है। उनके इस सफर की शुरुआत 2006 में हुई। बरेली के सरकारी स्कूल के 12वीं पास कर योगेश ने अपने पहले प्रयास में सीपीएमटी परीक्षा में भी सफलता हासिल की थी।

सक्सेज मंत्रा : सुबह की शुरुआत अखबार के साथ करें। कम से कम दो घंटे अखबार जरूर पढ़ते थे। इसके बाद ऑप्शनल और जनरल स्टडीज पढ़ें। मेन्स की तैयारी के दौरान जनरल स्टडीज पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।

टिप्स : आत्मविश्वास, कठिन परिश्रम और संयम से ही सफलता हासिल होगी।

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अनंत आकाश : रैंक 1133

आईओसी की नौकरी छोड़ की तैयारी

कैसरबाग के रहने वाले डॉ। विनोद सोनकर के बेटे अनंत आकाश ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आईओसी में नौकरी पाई थी। मगर सिविल सर्विसेज के लिए उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी। अनंत ने अपने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। डॉ। विनोद सोनकर कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। अनंत बचपन से ही मेधावी रहा है। हाईस्कूल में 92 और इंटरमीडिएट में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। इसके बाद आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 172 रैंक हासिल की थी।

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शिवेंद्र प्रताप सिंह : रैंक 1226

बाबू हरनाथ सिंह शिशोदिया विद्यापीठ के संचालक शिव प्रताप सिंह के पुत्र शिवेन्द्र प्रताप सिंह ने मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़निश्चयन के बल पर यह सफला प्राप्त की है। मां अमिता सिंह गृहणी हैं। पत्नी अनाहिता केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर कार्यरत हैं। शिव प्रताप सिंह ने एमबीए के बाद एक निजी कंपनी में प्रबंधन प्रशिक्षु के तौर पर करियर की शुरुआत की लेकिन आगे बढ़ने की चाह में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।