आई इनवेस्टिगेशन

अपरहेड-----

आरटीओ दफ्तर में सोमवार को शुरू नहीं की गई जनसुनवाई

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बॉक्स

ये है ऑर्डर नंबर - 578स.सु/2017-55स.सु./2013

तारीख - 9 अप्रैल 2017

मिला - ई-मेल से

साइन - परिवहन आयुक्त के

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इंट्रो

मेरठ। जनता की परेशानियां कम करने की प्रदेश सरकार की मुहिम को उसके अफसर ही पलीता लगा रहे हैं। ताजा मामला मेरठ स्थित संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय यानी आरटीओ का है।

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यह है आदेश

परिवहन विभाग में प्रत्येक सोमवार को अधिकारियों द्वारा सुबह 10 से शाम 5 बजे तक जनता की सुनवाई कर इसका निस्तारण नियमानुसार किया जाएगा। इस दिन अवकाश होने पर अगले दिन सुनवाई होगी। शिकायतों के निस्तारण के अभिलेख का रख-रखाव भी किया जाएगा।

- के। रविंद्र नायक, परिवहन आयुक्त

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करीब एक महीने पहले का यह डिपार्टमेंटल खत आरटीओ विभाग में पहुंच तो गया था, लेकिन विभाग के अफसर निर्देश को दबा गए।

अन्य शहरों में शुरू

प्रदेश के अन्य शहरों में ऐसे आदेश आने की जानकारी मिलने पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने स्थानीय आरटीओ कार्यालय से इस बाबत जानकारी मांगी। लेकिन अधिकारी इस बाबत जानकारी न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ते नजर आए।

परेशान दिखे लोग

सोमवार को आरटीओ कार्यालय में जनसुनवाई तो दूर, अफसरों के कमरों में ताले लटके दिखाई दिए। आम दिनों की तरह ही विभाग में आवेदकों की भीड़ इधर-उधर भटकती नजर आ रही थी। काम करवाने के लिए लोग अलग-अलग काउंटर पर जूझते नजर आए।

क्यों आया आदेश

आदेश में कहा गया है कि बेहाल जनता अपनी समस्याओं को सीधे लखनऊ से जारी टोल फ्री नंबर 18001800151 पर कॉल कर दर्ज कराती है, लेकिन इनमें से ज्यादातर का निस्तारण स्थानीय स्तर पर ही किया जा सकता है। इन समस्याओं के निस्तारण के लिए ही हेड क्वार्टर ने प्रदेश के सभी आरटीओ को ई-मेल भेजकर जनसुनवाई सुनिश्चित करवाने के निर्देश जारी किए थे।

आरटीओ को जानकारी नहीं

इस संबंध में आरटीओ ममता शर्मा से फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि वह छुट्टी पर हैं। इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं। एडिशनल आरटीओ बता पाएंगे।

हमें इस तरह का कोई आदेश नहीं मिला है, लेकिन हमारे यहां रोजाना ही जनसुनवाई होती है। पब्लिक की समस्याओं का समाधान किया जाता है।

-रंजीत सिंह,एआरटीओ प्रशासन

हम लोग आरटीओ में इधर-उधर भटकते रहते हैं। यहां कोई सुनवाई नहीं होती। काम तो होता ही नही। किसी दिन कर्मचारी नहीं होते, किसी दिन अधिकारी नहीं होते। एक कागज बनवाना हो तो उसके लिए भी 15 दिन लगते हैं।

-मिलिंद अरोड़ा, शास्त्रीनगर

आरटीओ यानि पैसा दो, काम करवाओ, आरटीओ में चारों तरफ दलालों का राज है। दलालों के जरिए ही काम हो सकता है, सरकारी बाबूओं से तो काम की उम्मीद छोड़ा ही दें।

-नीरज कौशिक

यहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना भी आसान नहीं है। एक नंबर से फीस जमा करवा भी दो तो टेस्ट में फेल कर ही देगें। ये आरटीओ है। यहां कुछ नहीं बदलता।

- सचिन गुप्ता

बिना पैसे कोई काम नहीं होता, सुनवाई के लिए भी किसके पास जाएं। कोई सुनता ही नहीं।

-ताबिश पावली

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