- जेल में बंद पर्यटन अध्ययन में गोल्ड मेडल पाने वाले अजीत सरोज का इग्नू रीजनल सेंटर पर किया गया स्वागत

VARANASI

अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो राह की कठिनाइयां अपने आप आसान हो जाती हैं। कुछ लोग तो होते हैं जो आपके लक्ष्य में अड़चन डालने का प्रयास करते हैं पर कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका साथ आपके जज्बे को और भी मजबूती प्रदान करता है। कुछ ऐसी की कहानी जेल में रह कर इग्नू से पर्यटन की पढ़ाई करने वाले अजीत सरोज की है। जेल से जमानत पर छूटने के बाद अजीत सोमवार को बीएचयू स्थित इग्नू के रीजनल सेंटर में कार्यालय में आया था। यहां पर उसका स्वागत रीजनल डायरेक्टर डॉ। एएन त्रिपाठी ने किया। इसके अलावा जेल में भी वरिष्ठ अधीक्षक संजीव त्रिपाठी ने स्वागत किया।

चाहते थे न पढ़ूं

अजीत ने बताया कि साथी कैदी कहते थे कि मैं न पढ़ूं। हमेशा ताने दिया करते थे कि अब जेल में आ गया है तो पढ़ कर क्या करेगा। जीवन में दाग तो लग ही गया है। इन सबके बावजूद मैंने सभी के सो जाने के बाद रात को पढ़ाई की। कुछ अच्छे लोगों का साथ मिला और मैंने पढ़ाई पूरी की। जौनपुर जिले के जलालपुर थाना अंतर्गत ग्राम चक्के निवासी राम बचन के बेटे अजीत को स्थानीय कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के आरोप में क्0 साल की सजा सुनाई है। इसके बाद उसको वाराणसी के सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। इससे पहले वह जौनपुर के जिला जेल में क्0 माह की सजा काट चुका था। वाराणसी जेल में वह पांच साल दो माह रहा। इसके बाद हाईकोर्ट ने उसके आचरण को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों जमानत दे दी। उसने जेल से ही फॉर्म भरा और जेल में ही उसने परीक्षा दी। पर्यटन अध्ययन से पहले उसने यही से बी कॉम किया। अब वह पर्यटन के क्षेत्र में ही अपना कॅरियर बनाना चाहता है।

जेल से कमाये क्भ् हजार

अजीत जेल में ही कार्यालय का कार्य देखता था। उसकी शिक्षा को देखते हुए जेल प्रशासन ने उसको अकाउंट का काम दे रखा था। वह कंप्यूटर पर घंटों काम करता था। इसके एवज में उसे प्रति दिन फ्0 से ब्0 रुपये मिलते थे। करीब दो साल में उसको जेल छोड़ने पर क्भ् हजार रुपये मिले।