बचपन में जिम्‍मेदारियां
लता का जन्‍म 28 सितम्बर, 1929 को जाने-माने गायक दीनानाथ मंगेशकर के घर इंदौर में हुआ था। इन्‍होंने बचपन से ही गायिकी का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। जब लता 13 साल की थी तभी उनके पिता की मृत्‍यु हो गई थी। इससे बचपन में ही वह जिम्‍मेदारियों में घिर गई और उन्‍हें मजबूरियों में काम करना पड़ा।

गायन की शुरुआत

लता ने अपने गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म कीती हसाल से की थी। हालांकि बाद में यह गाना फ़िल्म में शामिल नहीं हुआ। इसके अलावा इन्‍होंने 1942 से 1948 के बीच हिन्दी व मराठी फ़िल्मों में काम किया। जिसमें पहेली मंगलागौर, मांझे बाल, गजाभाऊ, छिमुकला संसार, बडी मां, जीवन यात्रा, छत्रपति शिवाजी जैसी फिल्‍में शामिल रहीं।

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की जिंदगी का सफर 10 पड़ावों में

लता के गुरू:
1945 में लता ने मुंबई में उस्ताद अमानत अली खान से संगीत प्रशिक्ष्ण लेना शूरू कर दिया। इस दौरान लता ने उनके सानिध्‍य में गायिकी का अच्‍छा प्रशिक्षण लिया। वहीं 1947 में विभाजन के बाद उस्ताद अमानत अली खान पाकिस्तान चले गये। जिससे बाद में लता ने रजब अली खान के भतीजे अमानत खान से शास्त्रीय संगीत सीखा।

गाने का मौका:
वहीं लता के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ फिल्‍म मजबूर से आया। इस फिल्‍म में उन्‍हें दिल मेरा तोडा ,मुझे कही का न छोड़ा गाना गाने का मौका मिला। यह गाना सुपरहिट हुआ। इसके बाद उनके रास्‍ते थोड़ सरल हुए। इसके बाद 1949 में महल फिल्म में उनका गाया गाना आएगा आनेवाला भी सुपरहिट रहा।

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फिल्‍मों में गाया:
लता ने 1950 के दशक में लता मंगेशकर ने दो आंखें बारह हाथ, मदर इंडिया, मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मो में गाने गाये। 60 के दशक में लता की आवाज को अपनी फिल्‍म में लेने के लिए हर फिल्‍मकार लालायित रहता था। इन्होंने 1942 से 2010 तक के लंबे करियर में 36 भाषाओं में लगभग 50 हजार गाने गाए हैं।

पहला अवॉर्ड मिला:
लता मंगेशकर की पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में ही हुई। लता ने अब तक कई सारे अवॉर्ड जीते हैं। इन्‍हें सबसे पहला पुरस्‍कार मधुमती फिल्‍म 1958 के गाने आ जा रे परदेशी में एक प्‍लेबैक सिंगर के लिए मिला।

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प्रधानमंत्री रो पड़े:
लता ने वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध में शहीद हुऐ लोगों के लिए एक खास पेशकश की। उस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्‍होंने ऐ मेरे वतन के लोगो गीत गाया। उस समय वहां पर देश के प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू भी उपस्थित थे। उनके गाने को सुनकर नेहरू जी की आंखें भर आई थीं।

रिजेक्‍ट की गईं:
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस लता की आवाज की आज पूरी दुनिया दीवानी है। शुरू में उनकी आवाज को फिल्म शहीद के निर्माता सशधर मुखर्जी ने रिजेक्‍ट कर दिया था। उनका कहना था कि उनकी आवाज पतली है। यह लोगों के दिल को नहीं छू पाएगी।

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कई अवॉर्ड मिले:
लता को अब तक कई राष्ट्रीय व फिल्‍म फेयर अवॉर्ड मिले। इन्‍हें 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1989 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 1996 में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 1997 में राजीव गांधी पुरस्‍कार, 1999 में पद्मविभूषण जैसे कई पुस्‍कार मिले। इसके अलावा उन्‍हें 2001 में भारत सरकार ने भारत रत्न दिया।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड:

लता जी ने अंग्रेजी, मणिपुरी, मलयालम, हिंदी, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, मराठी, नेपाली, असमिया, बांग्ला, ब्रजभाषा, डोगरी, भोजपुरी, कोंकणी, कन्नड़, मगधी, मैथिली जैसी भाषाओं में गाने गाए हैं। जिससे इन सब उपलब्‍िधयों के चलते ही लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया।

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