आई एक्सक्लूसिव

-नगर निगम के दावे की दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जानी सच्चाई, फॉगिंग के नाम पर हो रही खानापूर्ति

-मैन पावर की कमी और डीजल में 'खेल' करके फॉगिंग के नाम पर कानपुराइट्स के साथ हो रहा धोखा

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KANPUR : शहर में मच्छरों का प्रकोप इस कदर है कि कोई भी कोना इनसे अछूता नहीं रह गया है। डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों ने कानपुराइट्स पर 'हमला' बोल दिया है। वेडनसडे को मेडिकल कॉलेज ने दो लोगों में डेंगू की पुष्टि भी कर दी। ऐसे में शहर को मच्छरों के 'आतंक' से बचाने के लिए नगर निगम ने दावा किया है कि दो हफ्ते पहले ही फॉगिंग शुरू हो चुकी है ताकि मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को कम किया जा सके। लेकिन इस फॉगिंग की सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पड़ताल कि तो मालूम चला कि फॉगिंग तो 'हवा' में हाे रही है।

आधा भी नहीं हो रहा यूज

बारिश के सीजन से लेकर नवंबर तक मच्छरों का प्रकोप अपने चरम पर रहता है। इनसे कानपुराइट्स को बचाने के लिए नगर निगम के पास फॉगिंग की जिम्मेदारी रहती है, लेकिन विभाग के कर्मचारी इसमें बड़ा 'खेल' कर देते हैं। डीजल बचाने के चक्कर में फॉगिंग के नाम पर 'धोखा' किया जा रहा है। मेलाथिन-95 परसेंट टेक्निकल नाम के केमिकल को पेट्रोल या डीजल में मिलाकर छिड़काव को ही फॉगिंग कहते हैं। लेकिन ये आधा डीजल-पेट्रोल भी फॉगिंग में यूज नहीं किया जा रहा है।

19 में सिर्फ 5 मशीन

नगर निगम के मुख्य नगर अधिकारी डॉ। आरके सिंह के मुताबिक फॉगिंग मशीन को सप्ताह के दिन के हिसाब से शहर के वार्डो में भेजा जाता है। लेकिन जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पता लगाया तो मालूम चला कि फॉगिंग की 19 बड़ी मशीनों में सिर्फ 5 से ही खानापूर्ति की जा रही है। 60 छोटी मशीनें होने के बाद भी सिर्फ 10 मशीनों को ही फील्ड में भेजा जा रहा है। निगम अधिकारी दावा कर रहे हैं कि रोजाना प्रत्येक जोन के 18-18 वार्डो में फॉगिंग की जा रही है। आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि 45 मिनट में कितने वार्ड कवर किए जाते होंगे। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने करीब 10 से ज्यादा वार्डो के लोगों से बातचीत कि तो उनका कहना था कि उनके वॉर्ड में एक भी बार फॉगिंग नहीं हुई। बताते चलें कि फॉगिंग के लिए विभाग की ओर से लगभग 22 लाख का बजट रखा गया है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि फॉगिंग 20 मार्च से शुरू हो चुकी है। लेकिन शहर में मच्छरों का आतंक कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है।

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ऐसे हो रहा है 'खेल'

नगर निगम के सूत्रों के मुताबिक कर्मचारी गाडि़यों को कोटा ही कम देते हैं। 45 मिनट के लिए 45 लीटर डीजल और 5 लीटर पेट्रोल लगता है, जबकि असल में न तो पूरा डीजल दिया जाता है न ही पेट्रोल। इस वजह से फॉगिंग की गाडि़यां भी पूरे 45 मिनट फॉगिंग नहीं करती हैं। यही हाल फॉगिंग की हैंड मशीनों का भी है।

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एक दिन में दिया जाता है डीजल, पेट्रोल

1 गाड़ी को डीजल दिया जाता है--- 45 लीटर

साथ में पेट्रोल मिलाया जाता है---- 5 लीटर

एक दिन में बड़ी मशीनें चलती हैं---- 5

एक दिन में टोटल डीजल दिया जाता है--- 225 लीटर

पेट्रोल दिया जाता है---- 25 लीटर

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नगर निगम में फॉगिंग मशीनों की स्थिति

-बड़ी मशीन 19

-हाथ वाली मशीन 60

चल रही हैं

-बड़ी मशीनें--- 5

-हाथ वाली चल रही मशीन 10

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ये है फॉगिंग का शेड्यूल

जोन-1 मंडे

जोन-2 ट्यूजडे

जोन-3 वेडनसडे

जोन-4 थर्सडे

जोन-5 फ्राइडे

जोन-6 सैटरडे

मंडे से थर्सडे तक फॉगिंग होती है---- 18 वार्ड

फ्राइडे और सैटरडे को फॉगिंग होती है-- 19 वार्ड

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ऐसे तैयार होता है फॉगिंगा केमिकल

बड़ी फॉगिंग मशीनाें के लिए

डीजल --- 45 लीटर

पेट्रोल--- 5 लीटर

मैलाथिन 95 परसेंट-- 3.5 किग्रा

(डीजल या पेट्रोल को मेलाथिन के साथ मिलाकर 45 मिनट फॉगिंग की जा सकती है.>)

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हैंड फॉगिंग मशीनों के लिए

डीजल --- क्0 लीटर

पेट्रोल--- ख्.भ् लीटर

मैलाथिन 9भ् परसेंट-- ख्00 ग्राम

(दोनों को मिलाकर फ्0 मिनट फॉगिंग की जा सकती है.)

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पूरे टाइम फॉगिंग कराई जा रही है। मार्च महीने में फॉगिंग शुरू हो गई थी। बीच में एक-दो हफ्ते बंद रही थी, लेकिन रोजाना पूरे शहर में सुचारू रूप से चल रही है।

-डॉ। आरके सिंह, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम।

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