आई एक्सक्लूसिव

-कूड़े निस्तारण के लिए बनाया गया पनकी भौसिंह डंपिंग ग्राउंड में डंप है 20 लाख टन कूड़ा

- रोजाना 1300 टन कूड़ा और डंप किया जाता है, कूड़े के पहाड़ों से मच्छरों का गढ़ बना डंपिंग ग्राउन्ड

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KANPUR : देश की स्वच्छता रैंकिंग में कानपुर 175वें पायदान पर है। इतनी खराब स्थिति इसलिए है क्योंकि यहां डेली हजारों टन कूड़ा निकलता है, लेकिन निस्तारित एक परसेंट भी नहीं होता है। जैसे-तैसे शहर को साफ कर कूड़ा तो भौसिंह प्लांट में डंप कर दिया जाता है और वह डंप ही पड़ा रहता है। वेडनसडे को वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रदेश में पहली बार बड़े पैमाने पर बिल्डिंग कैपेसिटी वर्कशॉप का आयोजन किया गया था। जिसमें कूड़ा निस्तारण को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही गई थीं, लेकिन हकीकत इसके उलट है, हम आपको बताते हैं कि इस हकीकत का सच क्या है, पढि़ए इस रिपोर्ट को

बन चुके हैं कूड़े के पहाड़

डंपिंग ग्राउंड में पिछले एक साल में 2 लाख टन कूड़ा डंप पड़ा है, जो अब पहाड़ में तब्दील हो चुका है। बारिश के सीजन में यहां हालात और भी खराब हैं। डंप कूड़े की वजह से इलाके की हालत बहुत खराब है। स्कीन डिजिज और संक्रामक बीमारियों से हजारों स्थानीय निवासी परेशान हैं।

किसी काम का नहीं बचा कूड़ा

आईएलएंडएफएस कंपनी के मैनेजर शशांक शुक्ला ने बताया कि 2 लाख से ज्यादा टन का यह कूड़ा उनकी कंपनी के किसी काम का नहीं है। इसको निस्तारित नहीं किया जा सकता है। इस कूड़े को बैलेस्टिक प्रॉसेस से अलग-अलग कर कंपोस्ट में तब्दील कर दिया जाएगा, प्लास्टिक वेस्ट को सीमेंट कंपनी को बेच दिया जाएगा और इसके बाद इसमें निकली सैंड को प्लांट में ही यूज कर लिया जाएगा। इस प्रॉसेस को भी न के बराबर ही किया जा रहा है, जिसमें अभी महीनों का समय लग सकता है।

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A2Z ने जिस हाल में छोड़ा वहीं हालात

शहर में कुछ साल पहले एटूजेड कंपनी आई थी, जिसने बड़े पैमाने पर हाईटेक तरीके से कूड़े का निस्तारण शुरू किया था। नगर निगम और एटूजेड के बीच आपसी सामंजस्य न होने से एटूजेड कंपनी काम छोड़कर भाग गई। कंपनी ने पूरा सेटअप और गाडि़यों को डंपिंग ग्राउंड में जैसा छोड़ा थी, आज भी हालत जस के तस हैं। आईएलएंडएफएस कंपनी ने अभी न के बराबर ही कार्य शुरू किया है। कंपनी के अधिकारी दावा करते हैं कि कुछ दिन में ही कूड़े निस्तारण का कार्य शुरू कर देंगे

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मौजूदा यह हैं हालात

-2 लाख टन कूड़ा प्लांट में डंप पड़ा हुआ है।

-1300 टन कूड़ा रोजाना प्लांट में आता है।

-50 गाडि़यों के जरिए पहुंचाया जाता है कूड़ा।

-150 चक्कर में गाडि़यां कूड़ा करती हैं डंप।

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कूड़े का यह होता है यूज

-30 परसेंट कूड़े से 15 मेगावॉट बिजली पैदा की जाती है।

-20 परसेंट कंपोस्ट पैदा होती है।

-50 परसेंट म्यॉश्चर कूड़े में होता है, जो प्रॉसेस में यूज होता है।

(नोट: यह आंकड़ा 1300 टन कूड़े प्रतिदिन के हिसाब से है.)

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शहर में कूड़ा रोजाना उठा कर डंप साइट पर डंप किया जाता है। नई कंपनी का कार्य शुरू हो जाएगा तो बड़े पैमाने पर कूड़े का निस्तारण रोजाना िकया जाएगा।

-अविनाश सिंह, नगर आयुक्त, नगर निगम।

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प्लांट बहुत खराब हालात में मिला था। प्लांट का क्लीनिंग का कार्य किया जा रहा है। क्भ् दिन में पूरी क्षमता से कूड़ा निस्तारण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

-शशांक शुक्ला, मैनेजर, आईएलएंडएफएस।