reality check

- जिला महिला अस्पताल में हर जगह एक्टिव हैं दलाल

- पेशेंट्स की मदद के लिए नियुक्त आशा भी करतीं है दलाली का काम

- निजी हॉस्पिटल से तय है कमिशन, पेशेंट्स के बिल में जुड़ जाता है कमिशन

sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: मैडम, आप परेशान न हो। आप के मरीज को कुछ नहीं होगा। सरकारी अस्पताल का हाल तो आप देख ही रही हैं, यहां मरीजों का इलाज़ ठीक से नहीं करते हैं। मैं आपको एक प्राइवेट अस्पताल ले चलता हूं। वहां अच्छा इलाज हो जाएगा। यह शब्द सरकारी अस्पताल के बाहर खड़े दलाल के हैं। गोरखुपर जिले के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों के बाहर प्राइवेट अस्पतालों ने अपने-अपने दलाल फिट कर रखे हैं। यह सरकारी अस्पताल में खड़े होकर मरीजों को अपनी सेटिंग वाले अस्पताल में ले जाते हैं। इसके एवज में उन्हें मोटी कमिशन मिल जाती है, जिसकी भरपाई भी वह प्राइवेट हॉस्पिटल वाले पेशेंट्स के बिल में जोड़कर करते हैं। इस खेल में पेशेंट्स को राहत पहुंचाने के लिए नियुक्त आशा कार्यक‌र्त्री भी शामिल हैं तो सरकारी अस्पतालों में नियुक्त कई स्वास्थ्यकर्मी भी। शनिवार को जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जिला महिला अस्पताल में इसका रिएल्टी चेक किया तो हकीकत भी सामने आ गई।

ओपीडी से लेकर वार्ड तक हैं एक्टिव

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर शनिवार को दोपहर जिला महिला अस्पताल पहुंचा। निजी अस्पतालों के कई दलाल ओपीडी और वार्डो में एक्टिव नजर आए। वे यहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से बात करते दिखे। उनकी शह पर मरीजों और उनके तीमारदारों को बरगलाते नजर आए। अंदर डॉक्टर पेशेंट देखने में व्यस्त थे और बाहर मरीजों की बोली लग रही थी।

.। और तय हो गया सौदा

यह सब चल ही रहा था कि करीब 1.55 बजे एक आशा पेशेंट को लेकर अस्पताल पहुंची। वहां पहुंचते ही उसके सामने एक दलाल आ गया। अर्जुन नाम का यह दलाल आशा को अलग ले जाकर कमिशन की बात करने लग गया। दलाल के कमिशन तय हो जाने के बाद आशा ने बेलीपार से आए मरीज के तीमारदारों को समझा दिया कि वे उसके (दलाल) साथ चले जाएं। तीमारदारों को आशा पर ही भरोसा था, वही उन्हें लेकर आई थी। इसलिए उसके कहने पर वे दलाल के साथ चले गए। उन्हें पता भी नहीं था कि उनका सौदा हो चुका है।

अधिकारियों को सब पता है

जिला अस्पताल हो या जिला महिला अस्पताल, दोनों जगहों पर यह खेल चलता रहता है और अधिकारियों को भी इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन कोई दखल नहीं देता। कई बार मामला सामने आ जाने के बाद भी अधिकारी दलाल और स्टाफ पर एक्शन लेने से कतराते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही कुछ लोगों ने एसआईसी से शिकायत भी की थी लेकिन मामले में कुछ नहीं हुआ। कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से दलालों का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है और वे सुबह से ही अस्पताल के इर्द-गिर्द मंडराने लगते हैं।

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केस-1

शनिवार को बेलीपार एरिया के ककराखोर के रहने वाले आदील की पत्‍‌नी तंजीम को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। दोपहर करीब 1.55 बजे आशा उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंची। डॉक्टर को दिखाया। इसके बाद दलालों का खेल शुरू हो गया। दलाल ने आशा से सम्पर्क करके कमीशन की बात की। दोनों के बीच लेनदेन की बात पक्की हो गई। उसने तंजीम के पति से बात कर निजी अस्पताल जाने की सलाह दी। इसके बाद दोनों प्रेग्नेंट महिला को लेकर निजी हॉस्पिटल लेकर चले गए।

केस-2

बीस दिन पहले बेलघाट के कटिया बाबू के रहने वाले राम भवन की पत्‍‌नी पूनम को तेज प्रसव पीड़ा हुई। वह अपनी पत्‍‌नी को लेकर जिला महिला अस्पताल पहुंचे। पत्‍‌नी ने जिला अस्पताल में एच् बच्चे को जन्म दिया। थोड़ी देर बच्द बच्चे की हालत खराब हो गई। वह मां का दूध नहीं पी पा रहा था। डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी। पीडि़त ने बताया कि इसी दौरान एक दलाल आया और उसे निजी हॉस्पिटल लेता गया। वहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद भी हॉस्पिटल वाले ने 90 हजार रुपये ले लिए। पीडि़त ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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कार्रवाई की नहीं होती हिम्मत

एक व्यक्ति की शिकायत पर हेल्थ विभाग की टीम विजय चौराहे के निकट स्थित मैक्स हॉस्पिटल की जांच करने पहुंची थी। आरोप था कि हॉस्पिटल में बिना डिग्री के डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं। हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। जांच के दौरान मौके पर हॉस्पिटल के मालिक के नहीं मिलने पर उन्हें सीएमओ कार्यालय तलब किया गया। एसीएमओ डॉ। एनके पांडेय ने बताया कि हॉस्पिटल के मालिक आए लेकिन उनके पास पूरा कागजात नहीं था इसलिए वापस कर दिया गया। जांच प्रक्रिया जारी है। इस तरह कागजात नहीं होने पर भी अधिकारी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं और 'जांच जारी है', का बहाना जारी रहता है।

वर्जन

इस बारे में जानकारी नहीं थी। यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। स्टाफ व आशाओं पर नजर रखने के लिए कर्मचारी लगाए जाएंगे। पकड़े गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं बाहरी दलालों को पुलिस के हवाले किया जाएगा।

डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल