-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट एक्सक्लूसिव

-नवजात बच्चों संग सफर करने वाली महिला यात्रियों की सुविधा के लिए कोच व स्टेशनों में बनेंगे आंचल कक्ष

-ट्रेन में स्लीपर कोच की एक बर्थ आरक्षित होगी आंचल कक्ष के नाम से, बर्थ को चारों ओर से पर्दो से ढका जाएगा

KANPUR : नवजात के साथ ट्रेन में सफर करने वाली महिलाओं की समस्या को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत विभिन्न ट्रेनों ए क्लास स्टेशनों में 'आंचल कक्ष' का निर्माण किया जाएगा, जहां माताएं अपने बच्चों को आसानी से स्तनपान करा सकती हैं। ट्रेन के स्लीपर कोच की एक निचली बर्थ आंचल कक्ष के नाम पर आरक्षित रहेगी। इस बर्थ को पर्दे से पूरी तरह से कवर किया जाएगा। ताकि माताओं को स्तनपान कराने में कोई समस्या न हो। बहुत जल्द ये सुविधा कानपुर सेंट्रल स्टेशन समेत कई स्टेशनों और ट्रेनों में शुरू कर दी जाएगी।

14 प्रतिशत महिलाएं करती हैं सफर

रेलवे बोर्ड के सर्वे के मुताबिक ट्रेनों में सफर करने वाली यात्रियों में 35 प्रतिशत सिर्फ महिलाएं होती हैं, जिनमें से लगभग 14 प्रतिशत महिला ऐसी होती हैं, जो नवजात बच्चे संग सफर करती हैं। दुधमुंहे बच्चों संग ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं की संख्या काफी होने के चलते रेलवे ने उनकी सुविधा के लिए स्टेशन व ट्रेनों में ये स्पेशल कक्ष बनाने का फैसला किया है।

प्राइवेट कंपनीज में लागू है नियम

एनसीआर पीआरओ अमित मालवीय ने बताया कि पीएम मोदी ने बीते दिनों प्राइवेट कंपनीज में आंचल कक्ष बनाने के निर्देश कंपनीज को दिए थे। वही नियम अब रेलवे बोर्ड स्टेशनों व ट्रेनों में लागू करने जा रहा है। क्योंकि ट्रेनों में लंबी दूरी का सफर एक दिन से तीन-तीन दिन तक का है, जिससे महिलाओं को बच्चों को फीडिंग कराने में काफी प्रॉब्लम होती है।

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सेंट्रल पर बनेंगे दो आंचल कक्ष

सेंट्रल स्टेशन डायरेक्टर डॉ। जीतेन्द्र सिंह के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन के सिटी साइड व कैंट साइड पैसेंजर हॉल में आंचल कक्ष बनाने की तैयारी चल रही है। जिसका निर्माण कार्य अगले माह से शुरू हो जाएगा। आंचल कक्ष केबिन की तरह बनाया जाएगा। इसके साथ ही कक्ष के बाहर बच्चे, माताओं के चित्र व स्लोगन भी लिखे होंगे, ताकि माताओं को आंचल कक्ष की जानकारी आसानी से हो जाए।

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सेंट्रल स्टेशन समेत एनसीआर जोन के सभी स्टेशनों में आंचल कक्ष बनाया जाएगा। ट्रेनों के कोच में भी ये सुविधा रहेगी। ताकि बच्चों को स्तनपान कराने में महिलाओं को कोई प्रॉब्लम न हो।

-अमित मालवीय, पीआरओ एनसीआर

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-रेलवे का यह कदम वाकई सराहनीय है। आंचल कक्ष बन जाने से छोटे बच्चों के साथ चलने वाली महिलाओं को काफी सहूलियत होगी।

- हम रेलवे के इस कदम का स्वागत करते हैं। महिलाएं अब निश्चिंत होकर अपने बच्चों को फीड करा सकेंगी। महिला यात्रियों को इससे काफी आराम मिलेगा।

- कोच में अगल-बगल पुरुषों के होने से नवजात शिशुओं को फीडिंग कराने में समस्या आती है। शर्म की वजह से महिलाएं बच्चों को फीड नहीं करा पाती हैं। आंचल कक्ष बनने से यह समस्या नहीं आएगी।