- यूजीसी के नियमों से हटकर, यूनिवर्सिटी ने गठित की कमेटी

- यूजी में पढ़ा रहे प्रोफेसर को दो रिसर्च पब्लिकेशन का होना अनिवार्य

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी इस साल से अपने गवर्नमेंट और एडेड डिग्री कॉलेजों में चल रहे यूजी कार्सेस में पढ़ा रहे शिक्षकों को पीएचडी कराने का मौका देने जा रहा है। इसके लिए यूनिवर्सिटी की ओर से गठित कमेटी ने यूजी शिक्षकों को पीएचडी कराने के लिए नया आर्डिनेंस भी तैयार कर लिया है। जिसे फ्राइडे को यूनिवर्सिटी में वीसी की अध्यक्षता में आयोजित होने वाले एकेडमिक काउंसिल और कार्य परिषद की बैठक में पारित कर दिया जाएगा। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने बीते साल से कॉलेजों को पीएचडी कराने की मंजूरी दी थी। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने उन कॉलेजों को मंजूरी दी थी, जिनके यहां पीजी कोर्सेस का संचालन होता है। पर, इस साल से इसमें चेंज किया गया है।

दो रिसर्च पब्लिकेशन होना जरूरी

यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि यूजी कोर्सेस के शिक्षकों को पीएचडी कराने के लिए उनके पास दो रिसर्च पब्लिकेशन का होना अनिवार्य है। इसके लिए तैयार आर्डिनेंस में कहा गया है कि एसोसिएट प्रोफेसर को रिसर्च सुपरवाइजर बनने के लिए उनकी दो पब्लिकेशन किसी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित होना अनिवार्य है। इसके अलावा इंटरनेशनल और नेशनल सेमिनार में दो प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया होना चाहिए। ऑर्डिनेंस में कहा गया कि यूजी कोर्सेस में पढ़ा रहे एसोसिएट प्रोफेसर को अधिकतम चार स्टूडेंट्स के रिसर्च गाइड और असिस्टेंट प्रोफेसर दो स्टूडेंट्स के रिसर्च गाइड बन सकते हैं।

कॉलेजों को एंट्रेंस कराने पर रहेगी रोक

इसके अलावा किसी भी कॉलेज को अपने स्तर से पीएचडी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम या एडमिशन लेने पर रोक रहेगी। सभी सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों में पीएचडी की सीटें यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित एडमिशन की प्रक्रिया से भरी जाएंगी। साथ ही सभी कॉलेज यूनिवर्सिटी के पीएचडी आर्डिनेंस के तहत ही अपने यहां पर रिसर्च कराएंगे। इसके अलावा अगर कोई कॉलेज अपने स्तर से इसमें कोई बदलाव करता है तो उसके खिलाफ एलयू कार्रवाई कर सकता है।

एलयू नहीं दे रहा यूजीसी के नियमों का ध्यान

वहीं कॉलेजों के यूजी शिक्षकों को पीएचडी कराने की छूट देने के मामले पर शिक्षक संघ ने एलयू पर यूजीसी के नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यूजीसी ने अपने नए आदेश छह जुलाई 2015 में साफ-साफ कहा था है कि केवल वहीं संस्थान पीएचडी करा सकते हैं जहां पर पीजी कोर्सेस का संचालन होता हो। इसके बगैर किसी भी यूजी स्तर पर पीएचडी कराने की छूट नहीं दी जा सकती है।

अभी तक केवल पांच कॉलेजों में पीएचडी की छुट

बीते साल यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को पीएचडी कराने की छूट दी थी। जिसमें पीजी कॉलेजों को केवल पीएचडी सीटें मिली थी। इसमें पांच सम्बद्ध कॉलेज को ही पीएचडी कराने का मौका मिला था। पर, इसके बाद यूजी कोर्सेस में पढ़ा रहे शिक्षक ने प्रमोशन के लिए पीएचडी सुपरवाइजर बनाने की मांग की थी। इसके बाद इस साल डिप्टी सीएम ने प्रदेश के यूजी कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के प्रमोशन में पीएचडी की छूट देने के नियमों में बदलाव कर दिया है। इसी के बाद से एलयू यूजीसी के नियमों को ताक पर रखकर सरकार के दबाव में यह नियम लागू कर रहा है।

डिप्टी सीएम ने शिक्षकों के पदोन्नति के लिए 28 जुलाई 2017 को आदेश जारी कर दिया है। जिसमें डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के समय की सीमा को समाप्त कर दिया गया है। आदेश आने के बाद एलयू इसे लागू करने करने जा रहा है।

प्रो। मौलेंदु मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष, फुफोक्टा