दैनिक जागरण आई नेक्स्ट स्पेशल

-यूके की दो कंपनी ने एनएसआई के साथ न्यू टेक्निक पर काम करेंगी

-इंडोनेशिया में धान की फसल पर बायो फर्टिलाइजर का प्रयोग किया गया

KANPUR : यूनाइटेड किंगडम की दो कंपनियों ने नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ हाथ मिलाकर बायो फर्टिलाइजर व एनीमल फीड डेवलप करने की इन्सेक्ट बेस बायो रिएक्टर टेक्निक पर काम करने की तैयारी कर ली है। इसका ट्रायल सीतापुर के शाहजहांपुर की किसी भी एक शुगर इंडस्ट्री में जून के बाद किया जा सकता है। अहम बात यह है कि शुगर मिल की वेस्ट बैगास(खोई) से बायो फर्टिलाइजर डेवलप की जाएगी। इसकी खासियत यह है कि किसान की फसल का प्रोडक्शन दो गुना होगा और फसल में कीड़ा नहीं लगेगा। यह जानकारी एनएसआई के डायरेक्टर प्रो। नरेन्द्र मोहन ने दी। इंडोनेशिया में धान की खेती पर बायो फर्टिलाइजर का यूज किया गया, जिसमें कि फसल का प्रोडक्शन दोगुना हो गया था।

पायलट प्लांट यूपी में लगेगा

डायरेक्टर प्रो। नरेन्द्र मोहन ने बताया कि फ्राइडे को यूके के कैपिटा विक्टोरिया स्ट्रीट के डायरेक्टर डॉ। एण्ड्रू स्विफ्ट और कोर्न फूड्स के डॉ। मुइवा एक्निटोओ ने संस्थान की विजिट कर बायो इन्सेक्ट बेस बायो रिएक्टर टेक्नोलॉजी पर काम करने की संस्थान के मंशा जताई। दोनों कंपनिया करीब 100 करोड़ रुपए का इनवेस्टमेंट शुगर इंडस्ट्री में करना चाहती हैं। इस टेक्नोलॉजी का ट्रायल जल्द ही यूपी की किसी एक शुगर मिल में कराया जाएगा। जून से इस पर काम शुरू करने की उम्मीद है। शुगर इंडस्ट्री में बैगास करीब 750 से 800 टन निकलती है। सबसे पहले इसके लिए पायलट प्लांट लगाया जाएगा।

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दोगुना होगा उत्पादन

शुगर इंडस्ट्री के वेस्ट बैगास का यूज अभी तक एनर्जी के लिए किया जाता था। इसके बाद भी बैगास काफी वेस्ट होता था। इसी बैगास का यूज करके इन्सेक्ट बेस बायो रिएक्टर टेक्नोलॉजी से जानवरों का प्रोटीन युक्त फीड डेवलप किया जाएगा और बायो फर्टिलाइजर बनाया जाएगा। जिससे एनपीके फर्टिलाइजर की खपत 80 परसेंट कम हो जाएगी। खास बात यह है कि इस बायो फर्टिलाइजर के प्रयोग से फसलों में कीड़ा नहीं लगेगा और किसान को उत्पादन भी दोगुना मिलेगा। इस टेक्नोलॉजी से शुगर इंडस्ट्री की आर्थिक कंडीशन बेहतर होगी।