- यूनिवर्सिटी के 180 सेंटर्स से स्पेशल मैसेंजर भेजकर मंगवाए गए पेपर एनवेलप

- सभी को देर रात ही सील न खोलने की दी गई थी हिदायत

- जांच के दायरे में होंगे सील ओपन करने वाले कॉलेज

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पेपर लीक की जांच काफी तेज हो गई है। सोमवार को यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेजेज पर बने 180 सेंटर्स पर बीएससी मैथ्स का पेपर कंडक्ट किया जाना था। मगर पेपर लीक हो जाने की वजह से इसे कैंसिल करने पड़ा। यूनिवर्सिटी ने देर रात चार बजे तक सभी 271 सेंटर्स पर फोन कर सभी पेपर की सील न खोलने के निर्देश दिए, वहीं स्पेशल मैसेंजर के जरिए सभी सेंटर्स से मंगलवार शाम तक सभी पेपर वापस मंगवा लिए गए हैं। अब 180 सेंटर्स से आने वाले बंडल्स की जांच की जाएगी। जहां की सील ओपन होगी, वह जांच के दायरे में आएंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

हर सेंटर पर गया था एक बंडल

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में एग्जाम के लिए पेपर वाइज बंडल तैयार किए जाते हैं। इसमें एक बंडल में 25 या 50 पेपर के सेट रखे जाते हैं, जो सील होकर डायरेक्ट एजेंसी के थ्रू कॉलेजेज को पहुंचते हैं। स्टूडेंट्स की संख्या के अकॉर्डिग यूनिवर्सिटी एजेंसी को नंबर ऑफ स्टूडेंट्स का डाटा और सेंटर कोड मुहैया करा देता है। इससे एजेंसी कॉलेजेज में स्टूडेंट्स की तादाद के हिसाब से बंडल तैयार कर देते हैं और एग्जाम के दो-तीन दिन पहले सेंटर्स तक पहुंचा दिए जाते हैं। मैथ्स का पेपर 180 सेंटर्स पर कंडक्ट किया जाना था, जिसकी वजह से एक सेंटर पर एक बंडल यानि कुल 180 बंडल भेजे गए। इसमें स्टूडेंट्स की तादाद के मुताबिक 25 या 50 के 10-20 पैकेट्स एक बंडल में रखे गए।

इन्हीं की होगी जांच

यूनिवर्सिटी ने जो बंडल भेजे थे, स्पेशल मैसेंजर्स के जरिए उन्हें वापस मंगवा लिया गया। अब यूनिवर्सिटी पहले इन 180 बंडल्स में से उनकी जांच करेगी। इन 180 बंडल्स में छोटे पैकेट्स हैं। उनमें से जिस बंडल की सील ओपन होगी पहले उन्हें जांच कमेटी के जिम्मेदारों की देख-रेख में अलग किया जाएगा, फिर इसके बाद इन ओपन बंडल्स में रखे गए सील पैकेट्स की जांच की जाएगी। चूंकि यूनिवर्सिटी ने देर रात तक सभी को सील ओपन न करने के निर्देश दे दिए थे, इसकी वजह से जिसने भी नियम विरुद्ध काम किया होगा, उसकी जांच कराकर दोषी होने पर कार्रवाई की जाएगी।

बॉक्स

पहले पेपर मिलान के बाद होता था कैंसिल

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 2011-12 और इससे पहले जो भी पेपर लीक के मामले सामने आए हैं, उनमें यूनिवर्सिटी पहले पेपर निरस्त नहीं करता था। पेपर होने के बाद वायरल और ओरिजनल पर्चो की जांच कराई जाती थी, दोनों मैच करने की कंडीशन में पेपर कैंसिल किया जाता था। लेकिन इससे स्टूडेंट्स को दो बार एग्जाम देना पड़ता था, वहीं यूनिवर्सिटी का भी काफी पैसा खर्च हो जाता था। लेकिन इस बार यूनिवर्सिटी ने अलग कार्रवाई करते हुए पहले ही पेपर कैंसिल कर दिया और केंद्राध्यक्षों को पेपर के बंडल अलग करने के निर्देश दिए।

वर्जन

यूनिवर्सिटी ने पेपर लीक की सूचना मिलने के बाद सभी कॉलेजेज को सेम डे ही पेपर की सील लॉक रखने के निर्देश दिए थे। वहीं स्पेशल मैसेंजर्स को भेजकर हर जगह से कलेक्शन भी करवा लिया गया है। जहां के पेपर की सील में टेंपरिंग होगी, उनकी जांच कराई जाएगी। जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- प्रो। हर्ष सिन्हा, पीआरओ, डीडीयूजीयू