न जातिगत समीकरण काम आया और न मुस्लिम ओबीसी वोट बैंक

अबीर गुलाल लेकर पहुंचे भाजपाई, दोपहर तक जीत के रंग में रंगे समर्थक

ALLAHABAD: इलाहाबाद में मुंडेरा मंडी को मतगणना केन्द्र बनाया गया था। मंडी के गेट पर सुबह 11 बजते बजते विभिन्न विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी और समर्थकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। इनमें सबसे अधिक उत्साही भाजपा के समर्थक नजर आए क्योंकि सुबह से पार्टी के पक्ष में आ रहे जबरदस्त रूझान ने उन्हें यह अहसास करा दिया था कि प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार आने वाली है। विरोधी खेमे में कार्यकर्ताओं के उतरे चेहरे भी इसकी चुगली कर रहे थे, लेकिन फिर भी वे इस आस में मंडी गेट पर जमे थे कि शायद उनका प्रत्याशी चुनाव जीत जाए।

चहुंओर जय श्री राम की गूंज

मुंडेरा मंडी के बाहर की सड़क का हाल ये था कि भाजपा के उत्साही समर्थक भारी भीड़ के बीच पूरे समय जय श्री राम, जय श्री राम और भगवा फिर लहराया है राम राज फिर आया है के नारे लगाते रहे। इस दौरान उनके हाथों में भगवा परचम भी लहराता नजर आया। कई सारे उत्साही समर्थक रूझान से जीत सुनिश्चित मानकर अबीर और गुलाल लेकर पहुंचे थे। दोपहर तक भाजपा समर्थकों को भाजपा की आठ और सोरांव की अपना दल समेत कुल नौ सीटों पर बढ़त की खबर मिलती रही और रोड पर अबीर-गुलाल की धुंध भी छाई रही।

वोटों के साथ घटती-बढ़ती रही धड़कनें

प्रतापपुर, हंडिया और करछना की सीट पर कड़ी टक्कर में शामिल बसपा और सपा के उम्मीदवारों के समर्थकों का जोश भी देखने लायक रहा। भले ही प्रदेश में इनकी मेन स्ट्रीम पार्टीज का बुरा हाल हो, लेकिन इन्हें अपने प्रत्याशियों की मजबूत स्थिति से मतलब था। सभी सीटों पर दूसरे नम्बर पर रहे प्रत्याशियों के साथ राउंड वाइज दिख रही जंग से समर्थकों की सांस ऊपर नीचे होती रही। इस दौरान अफवाहों का सिलसिला भी खूब चला। एग्जामपल के तौर पर बीच में मंडी के बाहर हल्ला मचा कि नन्दी चुनाव हार गये हैं। लोगों ने परवेज अहमद टंकी की जीत की घोषणा कर दी। इससे खलबली मच गई, लेकिन कुछ ही देर में शहर दक्षिणी की सीट के लिये लाउडस्पीकर पर नंदी और टंकी के मतों की कुल संख्या बताई गई तो नंदी समर्थकों की जान में जान आई।

नतीजे से धुरंधर भी चकित

जीत हार की कयासबाजी के बीच मोदी लहर चर्चा के केन्द्र में रहा। सभी का एक ही मत था कि मोदी लहर के आगे सभी दावे और सभी समीकरण हवा हो गए। न जातिगत समीकरण काम आया और न मुस्लिम-ओबीसी वोट बैंक। लोगों ने सपा कांग्रेस गठबंधन को भी बुरी तरह से फ्लाप बताया, साथ ही मयावती की पार्टी के लिये टिप्पणी थी कि उनका वोट साइलेंट होता है जो इस बार वाकई साइलेंट रह गया। सभी एक ही मत था कि पब्लिक ने सिर्फ एक चेहरा देखा मोदी का, यही कारण रहा कि वे भी चुनाव जीत गए, जिनके जितने की कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही थी।