Voters list से नाम गायब होने की शिकायतों पर प्रशासन गंभीर

मतदाता पर्ची बांटने में भी जमकर सामने आई लापरवाही

ALLAHABAD: मतदान के दौरान हजारों लोगों का नाम मतदाता सूची से गायब होने के मामले में जिम्मेदार बीएलओ के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे चूक मानते हुए मामले की समीक्षा की बात कही है। 23 फरवरी को शहर के कई बूथों पर वोट नहीं दे पाने का लोगों ने जमकर विरोध किया था। इस संबंध में निर्वाचन कंट्रोल रूम से लेकर निर्वाचन आयोग तक शिकायत दर्ज कराई गई है।

बिना cross check, उड़ाए नाम

चुनाव से पहले चलाए गए मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान 70 से 80 हजार मतदाताओं के नाम काटे गए थे। प्रशासन का कहना था कि मृतक या शिफ्टेड लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं। लेकिन, मतदान वाले दिन सच सामने आ गया। बीएलओ ने बिना किसी क्रॉस चेकिंग के मनमाने तरीके से नाम हटा दिए। इसका खामियाजा वोटर्स ने भुगता। बूथों पर ऐसे कई वोटर थे जिनके हाथ में एपिक मौजूद था, लेकिन सूची से नाम गायब था। जबकि, उन्होंने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने मत का प्रयोग किया था।

यहां हुआ था हंगामा

23 फरवरी को बारा के कंजासा, शहर पश्चिमी के एमआईसी, थरवई के पैगंबर में सैकड़ों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब होने पर उन्होंने गुस्से का इजहार किया था। शहर पश्चिमी के एमआईसी में लोगों ने नाम नहीं होने की शिकायत सीधे डीएम संजय कुमार से की थी। वोटर राम औतार, महेश चंद्र, अन्नपूर्णा, अनिल साहू, स्नेहा, दिलीप कुमार, मक्खन, सियाराम चौरसिया आदि बूथ पर वोटर कार्ड लेकर पहुंचे, लेकिन सूची में नाम नहीं होने से निराश लौट आए। थरवई के ही धर्मपुर घुरवा में 600, कुसूगर में 370, जगदीशपुर पूरे चंदा में 290 मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब रहे। अन्य जगहों से भी ऐसी शिकायतें दर्ज की गई थीं।

हकीकत में नहीं बांटी पर्ची

इस बार निर्वाचन आयोग ने मतदाता पर्ची के शत-प्रतिशत वितरण के निर्देश दिए थे। प्रशासन ने भी मतदान से कई दिन पहले समस्त बीएलओ को पर्ची सौंपकर घर-घर बांटने को कहा था। आंकड़ो पर जाएं तो बीएलओ ने 97 फीसदी मतदाता पर्ची बांटने का दावा किया, लेकिन हकीकत इससे अलग रही। सैकड़ों बूथों पर पर्ची का वितरण ही नहीं किया गया। कई बूथों पर पूरी तरह से लोगों तक पर्चियां नही पहुंची थीं। हालात तो तब गड़बड़ा गए जब ऑनलाइन वोटर्स के नाम शो हो रहे थे, लेकिन सूची से नदारद थे। प्रशासन का मानना है बीएलओ की वजह से यह चूक हुई है। अधिकारियों का यह भी कहना है जो शिक्षामित्र बीएलओ सहायक अध्यापक हो गए, उन बूथों पर भी दिक्कतें पेश आई हैं।

बीएलओ स्तर पर चूक हुई है। शिकायतों की समीक्षा की जा रही है। जिम्मेदार बीएलओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

महेंद्र कुमार राय, उप जिला निर्वाचन अधिकारी