मुखबिर देंगे सूचना

बेटों के हाथों मोक्ष पाने की चाहत में कोख में ही बेटियों की हत्या करने वालों को पकडऩे के लिए उप्र सरकार अगले महीने से मुखबिरों को सक्रिय करने जा रही है। ये मुखबिर लिंग की पहचान व अवैध गर्भपात कराने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं की गोपनीय सूचना देंगे। इस सूचना पर एक गर्भवती महिला और उसके सहायक को ग्राहक बनाकर भेजा जाएगा। यह टीम लिंग चयन के बदले जैसे ही केमिकल लगे करेंसी नोटों से भुगतान करेगी, स्वास्थ्य विभाग की टीम छापा मार कर सुबूत के साथ दोषियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लेगी।

लिंगानुपात को संतुलित करने का प्रयास

प्रदेश में बिगड़ते लिंगानुपात को बचाने के लिए अगले महीने से यह योजना शुरू हो जाएगी। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी ने शुक्रवार को महानिदेशक परिवार कल्याण और सभी जिलाधिकारियों को इसके निर्देश भेज दिए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की वित्तीय सहायता से शुरू की जा रही मुखबिर योजना के तहत चलाए जाने वाले डिकॉय ऑपरेशन में मुखबिर की पहचान गुप्त रखी जाएगी लेकिन, मुखबिर की सूचनाएं लगातार गलत निकलने पर उसे व्यावसायिक मानते हुए काली सूची में डाल दिया जाएगा। ऑपरेशन के लिए मिथ्या ग्राहक के तौर पर चुनी गई गर्भवती महिला के सहायक को मामले में स्वतंत्र गवाह की भूमिका भी अदा करनी होगी।

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ऐसे बनेंगे मुखबिर  

राज्य या केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों या गर्भवती महिलाओं को मुखबिर, मिथ्या ग्राहक या सहायक के तौर पर चुना जा सकेगा। मिथ्या ग्राहक बनने के लिए गर्भवती महिला को शपथपत्र देना होगा। मुखबिर, मिथ्या ग्राहक या सहायक बनने के लिए राज्य स्तर पर सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अध्यक्ष राज्य समुचित प्राधिकरण या पीसीपीएनडीटी अधिनियम के राज्य नोडल अधिकारी से और जिला स्तर पर जिलाधिकारी या मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।

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क्रियान्वयन के लिए बनेगी समिति

योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर राज्य समुचित प्राधिकरण की अध्यक्षता में डिकॉय समिति का गठन किया जाएगा। जिला स्तर पर गठित होने वाली समिति में जिलाधिकारी को अध्यक्ष, मुख्य चिकित्साधिकारी को सदस्य सचिव और पीसीपीएनडीटी अधिनियम के जिला नोडल अधिकारी व जिला सलाहकार समिति के अध्यक्ष शामिल होंगे।

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हर केस पर दो लाख का इनाम

सफल ऑपरेशन पर मुखबिर को 60 हजार, मिथ्या ग्राहक को एक लाख और उसके सहायक को 40 हजार रुपये का पुरस्कार देने की व्यवस्था की गई है। हालांकि यह रकम चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत मिलेगी। यानी सूचना सही पाए जाने और जांच में साक्ष्य मिलने पर मुखबिर को 20 हजार, गर्भवती महिला को 30 हजार और सहायक को 10 हजार रुपये मिलेंगे। न्यायालय में मामले के दौरान हाजिर होने पर दूसरी किस्त के तौर पर भी इतनी रकम मिलेगी। न्यायालय से सजा सुनाए जाने के बाद तीसरी व अंतिम किस्त को तौर पर मुखबिर को 20 हजार, गर्भवती महिला को 40 हजार और सहायक को 20 हजार रुपये दिए जाएंगे।

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