- वेक्टर बॉर्न डिसीज से पीडि़त पेशेंट्स में बीमारी के लक्षण बदले, वायरस के असर को लेकर डॉक्टर्स असमंजस में

- बुखार तेज लेकिन प्लेटलेट्स में नहीं हो रही ज्यादा गिरावट, डॉक्टर्स के मुताबिक अगस्त तक समझ में आएगा बदलाव

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KANPUR: बरसात का सीजन है। मच्छर व पानी से होने वाली बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। लेकिन इस बार बीमारी फैलाने वाला वायरस वेष बदलकर आया है। अपने बदले नेचर की वजह से वायरस ने डॉक्टर्स को भी परेशान करके रखा हुआ है। मुश्किल इस बात की है कि शुरुआती लक्षणों के अनुसार वायरस कमजोर लग रहा है, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि ये वायरस कानपुराइट्स के लिए अंजान खतरा बना सकता है। हालांकि इस न्यूज के जरिए हमारा मकसद पैनिक फैलाना नहीं है। बल्कि कानपुराइट्स को अवेयर करना है।

ख्0 परसेंट बढ़े पेशेंट्स

वायरस के असर से एक्यूट इंसेफलाइटिस से लेकर गैस्ट्रोइनटाइटिस, टायफाइड, मलेरिया और डेंगू की प्रॉब्लम भी बढ़ गई है। हैलट और उर्सला की ही ओपीडी की बात करें तो मरीजों की संख्या में ख्0 फीसदी का इजाफा हुआ है। डॉक्टर्स के सामने जो मरीज आ रहे हैं, उसमें बुखार के लक्षणों में कई तरह के बदलाव भी सामने आए हैं। वेक्टर बॉर्न डिजीज में सामान्यता फैलाने वाले वायरस और उसके असर में हमेशा ही कुछ न कुछ बदलाव आता है। इस बार भी यह बदलाव है जिसे फिलहाल डॉक्टर्स व माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स दोनों ही समझने की कोशिश कर रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक इस बार वायरस थोड़ा वीक है। लेकिन और बारिश होने के बाद ही स्थिति साफ होगी।

वायरस के असर में आया बदलाव

वेक्टर बॉर्न डिजीज में वायरस दो चीजों से सबसे ज्यादा फैलता है। पहला पानी और दूसरा मच्छर के जरिए या फिर इन बीमारियों से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से। इस सीजन में बुखार के ज्यादातर मरीजों के ब्लड प्रोफाइल जिसमें हीमोग्लोबीन, आरबीसी, डब्लूबीसी और प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाते हैं। साथ ही तेज बुखार कई दिनों तक बना रहता है। इन्हीं लक्षणों के आधार पर डॉक्टर्स तय करते हैं कि मरीज पर किस तरह के वायरस का प्रभाव है। लेकिन इस बार मरीजों की ब्लड प्रोफाइल में गिरावट नहीं आ रही, लेकिन उन्हें तेज बुखार के साथ बाकी सामान्य दिक्कतें हो रही हैं।

अगस्त से और आएगा बदलाव

मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। एसके गौतम ने बताया कि अभी डेंगू का असर उतना नहीं है, लेकिन मलेरिया के पेशेंट्स रोज आ रहे हैं। कई मरीजों की ब्लड रिपो‌र्ट्स में प्लेटलेट्स काउंट नहीं गिरा है। संभावित मरीजों की डेंगू की जांच भी कराई जा रही है। वायरस हमेशा ही म्यूटेट करते हैं ऐसे में उनके लक्षणों में बदलाव हमेशा ही होते हैं। अगस्त में जब ठीक से बारिश होगी उस दौरान इसका असल असर सामने आएगा।

जितने मच्छर उतनी तरह के वायरस

ख्800- तरह के मच्छरों की प्रजातियां सक्रिय

फ्000- तरह के वायरस का असर

पानी- वायरस के फैलने की सबसे मुफीद जगह

अलग-अलग लक्षण-

िचकुनगुनिया- चक्कर आना, शरीर में लाल चक्कते पड़ना, कमजोरी आना, ज्वाइंट्स में पेन, सिर दर्द होन

मलेरिया- उल्टी, दस्त, कंपकपी के साथ ठंड लगना, प्लेटलेट्स काउंट कम होना, बुखार अाना

डेंगू- भूख न लगना, चक्कर आना, कमजोरी, पेट खराब होना, सिरदर्द, शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, जोड़ों में दर्द, प्लेटलेट्स काउंट बेदह कम हो जाना

एक्यूट इंसेफलाइटिस- तेज बुखार आना, दस्त, उल्टी, सिर में दर्द होना

मच्छर पर दवा बेअसर

मच्छरों और लार्वा को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम जिन कीटनाशकों का छिड़काव करता है। उसका मच्छरों पर असर कम हो गया है। इसकी वजह इन मच्छरों का कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता डेवलप कर लेना है। लार्वासाइडल के अलावा मच्छरों को मारने में यूज होने वाले स्प्रे, मॉस्कीटो क्वायल और मैट भी बेअसर साबित हो रहे हैं।

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वर्जन-

डेंगू के अभी ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं। मलेरिया के पेशेंट्स आ रहे हैं। बुखार के मरीजों में प्लेटलेट्स की अभी जरूरत नहीं पड़ रही, लेकिन बुखार के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।

- डॉ। सौरभ अग्रवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

बुखार के ज्यादातर मामलों में अभी डेंगू, चिकुनगुनिया की पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी बुखार के लगातार मरीज बढ़ रहे हैं। बारिश अगर ठीक से होती है तो मरीज और बढ़ेंगे।

- डॉ। आरके वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

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इलाज से बेहतर बचाव-

-बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवा खाएं, मेडिकल स्टोर से सीधे दवा लेने से बचे

- कंप्लीट ब्लड काउंट जांच कराएं

- घर में पानी जमा नहीं होने दे। जहां पानी हो वहां फिनायल व एंटी लार्वा का छिड़काव करे

- पूरी आस्तीन के कपड़े पहने, रात में मच्छरदानी लगा कर सोएं