- कैसरबाग बस अड्डे पर आयोजित चश्मा वितरण के कार्यक्रम में बोले केजीएमयू वीसी एमएलबी भट्ट

LUCKNOW : देश में हर साल लगभग साढ़े पांच लाख लोग रोड एक्सीडेंट में दम तोड़ देते हैं। जिसमें यूपी अव्वल है। जिसके चलते ट्रॉमा सेंटर पर भार तेजी से बढ़ रहा है। माना जाता है कि बसों से होने वाले एक्सीडेंट का कारण चालकों की आईसाइट का दोषपूर्ण होना है। परिवहन विभाग इसी के चलते प्रदेश भर के चालकों-परिचालकों का नेत्र परीक्षण कराकर ना केवल उनके लिए चश्मा बनवा रहा है बल्कि उनकी आंखों का ऑपरेशन भी नि:शुल्क कर रहा है। यह कहना था केजीएमयू के वीसी एमएलवी भट्ट का। यह बातें उन्होंने मंगलवार को कैसरबाग बस अड्डे पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। भाऊराव देवरस सेवा न्यास और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन, परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, एमडी परिवहन निगम पी गुरु प्रसाद, परिवहन निगम के अध्यक्ष प्रवीर कुमार भी मौजूद रहे। इस दौरान दौरान चालकों-परिचालकों को नि:शुल्क चश्में वितरित किए गए।

400 मरीजों के ऑपरेशन के लिए दी गई किट

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जंयती पर आयोजित कार्यक्रम में मोतियाबिंद के 400 मरीजों के ऑपरेशन के लिए 12 लाख की किट केजीएमयू को उपलब्ध कराई गई। इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन 40 चालकों को चश्मा प्रदान किया गया। परिवहन मंत्री ने बताया कि कुल 378 लोगों को चश्मे मिलेंगे।

- लखनऊ रीजन के सात डिपो में कुल 1036 चालकों-परिचालकों की जांच की गई

- जांच में 341 चालकों की आंखें कमजोर पाई गई

- परिवहन निगम के 26 चालक का होगा ऑपरेशन

- कैसरबाग में 284 लोगों ने आंखों की जांच कराई थी।

परिवहन मंत्री की खुल गई आंखें

चश्मा वितरण के दौरान परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह मीडिया से मुखातिब हुए और निगम के अधिकारियों को कर्मचारियों की समस्याओं के बारे में जानकारी ली। इस दौरान डग्गेमारी और आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों द्वारा की जा रही वसूली की कम्लेन हुई। लेकिन जब मंत्री से पूछा गया कि परिवहन विभाग में सभी अधिकारियों की डीपीसी की प्रक्रिया पूरी हो गई लेकिन एक अधिकारी की डीपीसी नहीं हो रही है। कहीं इसकी वजह वसूली तो नहीं। इसके जवाब में मंत्री जी उखड़ गए और कहा कि यह नहीं हो सकता है। यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। आरटीओ ऑफिस के प्रवर्तन दस्ते पर हुए हमले और परिवहन निगम की अनुबंधित बसों में महिला परिचालकों की घटनाओं को संज्ञान में लिया और परिवहन निगम के एमडी को तुरंत इन मामलों का निस्तारण करने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग और निगम की इन समस्याओं के बारे मे मुझे जानकारी नहीं थी। मुझे तो लग रहा था कि निगम फायदे में है तो सबकुछ बेहतर चल रहा है। लेकिन अब जाकर मेरी आंखे खुली।