- गठन होने के 16 साल बाद भी नहीं बन सकी कोई वेबसाइट

- कोई भी अधिकारिक जानकारी के लिए आना पड़ता है निदेशालय

- संस्कृत विद्यालयों का हाल भी बुरा, एक कमरे में चलती हैं क्लासेस

LUCKNOW: प्रदेश में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ दशक पहले यूपी बोर्ड के तर्ज पर संस्कृत बोर्ड का गठन किया गया। वहीं, सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी बोर्ड को साल दर साल हाईटेक करती जा रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश संस्कृत शिक्षा बोर्ड आज भी केवल कहने के लिए बोर्ड के नाम पर संचालित हो रहा हैं। आलम यह है कि यहां तक की परिषद से सम्बद्ध संस्कृत विद्यालयों का हाल भी काफी बुरा हैं। इनका कहीं कोई ऑनलाइन रिकॉर्ड तक नहीं मौजूद है। यहीं नहीं परिषद के कई एडेड स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास अपने भवन और शिक्षक तक नहीं मिले हैं। ऐसे में कई लोगों ने तो इस बोर्ड के अस्तिव पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

सम्पूर्णानंद से अलग हटकर बना था परिषद

दरअसल साल 2000 में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से अलग होकर उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की स्थापना की गई थी। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कॉलेजों को अनुदान सूची पर लिया गया। साथ ही निजी स्कूलों को भी इस परिषद के माध्यम से मान्यता देने की शुरुआत की गई। इस समय केवल लखनऊ मंडल में ही 48 सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालय संचालित हैं, जबकि 17 प्राइवेट कॉलेजों को भी मान्यता दी गई है। लेकिन इन स्कूलों की सूची खुद ज्वाइंट डायरेक्टर के पास भी नहीं मौजूद है।

ऑनलाइन ब्यौरा तक मौजूद नहीं

सिर्फ इतना ही नहीं, परिषद से जुड़ी कोई भी सूचना ऑनलाइन नहीं है। यदि किसी को संस्कृत से जुड़े स्कूल, अधिकारी या मान्यता आदि के संबंध में कोई जानकारी लेनी है तो उसे परिषद के कार्यालय ही आना पड़ेगा। वेबसाइट न होने की वजह से लोगों को जानकारी लेने में काफी दिक्कतें होती हैं। यही नहीं, खुद विभाग के जिम्मेदार मानते हैं कि ऑनलाइन ब्यौरा न होने से बोर्ड को ही लोग फर्जी मानते हैं।

तो कहीं एक कमरे में चल रही क्लास

राजधानी में संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब है। यहां विशुन नारायण विद्यालय में एक कमरे में संस्कृत विद्यालय संचालित है। उसकी स्थिति भी बेहद जर्जर है। छात्रों के नाम पर एक-दो का रजिस्ट्रेशन है। वहीं दुगावां स्थित संस्कृत विद्यालय के पास तो भवन ही नहीं है। यहां एक पेड़ के नीचे क्लासेस संचालित होने का दावा किया जाता है।

परिषद की कोई ऑनलाइन वेबसाइट नहीं है। जहां से किसी को कोई सूचना प्राप्त हो सके। बीते दिनों विभाग एक इंटीग्रेटेड वेबसाइट बनाने के लिए एक बैठक भी हुई है। इसमें राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ संस्कृत शिक्षा परिषद की वेबसाइट लिंक करने की तैयारी है।

- दीप चंद,

सचिव, उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद