सिविल एविएशन अधिकारियों के मुताबिक इनमें से कोई भी संबंधित कंपनी में कार्यरत नहीं हैं। आखिर ये सभी परतापुर हवाई पïट्टी पर क्यों थी? क्या इन्हें एविएशन का शौक यहां खींच लाया था। मेरठ पुलिस इन तमाम बिंदुओं पर जांच में लगी है।

अफसरों ने की पूछताछ
हवाई पट्टी पर कुछ लड़कियों को देखा गया था, जिनसे सिविल एविएशन के अधिकारियों ने पूछताछ की। पहले इन्हें एयरक्राफ्ट मालिक योगेश गर्ग की कंपनी का कर्मचारी माना जा रहा था, लेकिन इनमें से रुचि को छोड़ कोई भी कंपनी में कार्यरत नहीं है। रुचि भी योगेश गर्ग की दिल्ली स्थित कंपनी इंफ्रालाइन के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में है। दिल्ली के आशोक विहार इलाके में रहती हैं।

रुचि के साथ पूरवी
यही रुचि एयरक्राफ्ट में पायलट के साथ मौजूद पूरवी को अपने साथ लेकर आई थी, जो वेस्ट बंगाल की मूल निवासी है। वो अपनी मौसी के घर दिल्ली में आई हुई हैं। एक अन्य लडक़ी निकिता गोयल दिल्ली स्थित टीसीएस कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर है, जो मूल रूप से अजमेर की रहने वाली है।

तीनों के लिए बयान
एविएशन अधिकारियों की मानें तो उन्होंने लड़कियों के बयान दर्ज किए हैं। अधिकारियों ने भी सवाल उठाया है कि इनका हवाई पट्टी पर क्या काम था? अभी ये तय नहीं हो सका है कि निकिता और पूरवी किस हैसियत से हवाई पïट्टी पर मौजूद थीं। सूत्रों के अनुसार परतापुर हवाई पट्टी में फ्लाइंग की परमीशन न होने के बावजूद भी पिछले 15 दिनों से फ्लाइंग हो रही है।

इस मामले की रिपोर्ट अभी डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन को नहीं भेजी गई है। पहले हम लोकल एडमिनिस्ट्रेशन का रुख देखना चाहते हैं। लड़कियों के बारे में जो सूचना मिली है कि उन्हें घुमाने के लिए लाया गया था। उनसे 12 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लिए जा रहे थे।

- डॉ। राजीव चौहान
प्रेसीडेंट, ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर फ्लाइंग क्लब्स

बच्चों को घुमाया था
MEERUT : शनिवार को जिस एयरक्राफ्ट से घटना हुई, उसी से बुधवार को बृजमोहन ब्लाइंड स्कूल के बच्चों को यहां एयरक्राफ्ट पर घुमाया गया था। ये प्रोग्राम स्वामी सत्यानंद ट्रस्ट फॉर हैंडीकैप्ड-इंडिया संस्थान द्वारा वालिंटियर फॉर दी ब्लाइंड्स फाउंडेशन, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया था। अगर लीज का समय खत्म हो गया था तो बुधवार को कैसे परमीशन दे दी गई?