आगे की दिशा तय करने के पहले ब्रिटेन सरकार ने चुनाव कराने का निर्णय लिया।

 

भारत और ब्रिटेन के चुनावों में क्या फ़र्क होता है? लंदन के स्कूल ऑफ़ ओरियंटल ऐंड अफ़्रीकन स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर सुबीर सिन्हा ने ब्रितानी चुनाव प्रक्रिया के बारे में बताया।

 

ईवीएम का इस्तेमाल क्यों नहीं

ब्रिटेन में क्यों इस्तेमाल नहीं होती ईवीएम?

ब्रिटेन में अब भी मतपत्र का इस्तेमाल होता है। भारत की तरह ईवीएम वहां इस्तेमाल नहीं की जाती। प्रोफ़ेसर सिन्हा के मुताबिक़ पिछले तीन सालों से यहां ईवीएम के इस्तेमाल पर चर्चा चल रही है। लेकिन ख़ुफ़िया एजेंसियों और चुनाव आयोग का मानना है कि ईवीएम फ़ुलप्रूफ़ नहीं है। उसकी हैकिंग की जा सकती है।

साथ ही यहां हर सीट पर मतदाताओँ की संख्या बहुत कम होती है, भारत की तरह यहां बहुत ज़्यादा मतदाता तो होते नहीं। इस वजह से यहां मतपत्रों की गिनती भी उतनी मुश्किल होती नहीं। इन वजहों से यहां अब भी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता।

 

चुनाव प्रचार

ब्रिटेन में क्यों इस्तेमाल नहीं होती ईवीएम?

प्रोफ़ेसर सुबीर सिन्हा के मुताबिक़ भारत और ब्रिटेन में चुनाव प्रचार में भी बहुत फ़र्क होता है। ब्रिटेन में भारत की तरह बड़ी-बड़ी रैलियां नहीं होतीं। वहां डोर टू डोर कैंपेनिंग होती है। प्रत्याशी, सीधे मतदाता के घर पर जाकर उनसे बातें करते हैं। कई दफ़ा मतदाता को तंग भी नहीं किया जाता। बस प्रत्याशी अपनी प्रचार सामग्री जैसे पर्ची वगैरह घर के दरवाजों के नीचे से सरका देते हैं। बिलकुल तामझाम नहीं होता। सब कुछ शांति से होता है।

 

खर्च

ब्रिटेन में क्यों इस्तेमाल नहीं होती ईवीएम?

सुबीर सिन्हा बताते हैं कि ब्रिटेन में चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर सख्त पाबंदी है। वहां हर उम्मीदवार चुनाव प्रचार पर 8,700 पाउंड्स से ज़्यादा खर्च नहीं कर सकता। अगर उसकी सीट को बरो (छोटी सीट) का दर्जा प्राप्त है तो वो हर मतदाता पर औसतन छह पेंस और उसकी सीट को काउंटी का दर्जा प्राप्त है तो हर मतदाता पर नौ पेंस से ज़्यादा खर्चा नहीं कर सकता। अब इतने कम पैसे में विशाल पोस्टर, खाना-पीना, फूल वगैरह पर कोई क्या खर्चा करेगा।

 

मतदाता बनाम नेता

ब्रिटेन में क्यों इस्तेमाल नहीं होती ईवीएम?

सुबीर सिन्हा के मुताबिक़ ब्रिटेन में तकरीबन 50 साल पहले नेताओं को विशेष दर्जा हासिल था लेकिन अब ऐसा नहीं है। जैसे भारत में मतदाता और नेता के बीच ख़ासा फर्क होता है। जैसे भारत में नेताओं को महान मानने की परंपरा है, जो वीआईपी स्टेटस हासिल होता है वैसा ब्रिटेन में नहीं है। आम लोगों और नेता के रहन सहन में कोई फर्क नहीं होता। यहां नेताओं को वीआईपी का दर्जा प्राप्त नहीं है।

(बीबीसी संवाददाता पवन सिंह अतुल से बातचीत पर आधारित)


International News inextlive from World News Desk