भेदभाव पर ध्यान नहीं देती पर कभी कभी तकलीफ होती है
ओलंपिक का कांस्य पदक और कई प्रतियोगिताओं के गोल्ड मैडल जीत चुकी एमसी मेरी कॉम ने रियो ओलंपिक से पहले मुक्केबाज़ों की चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल भी उठाए। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुआ कहा कि बेशक वो हमेशा अपने साथ हो रहे भेदभाव पर ध्यान नहीं देतीं। लेकिन कभी-कभी बहुत ख़राब महसूस करती हैं। खास कर जब कुछ रेफरी और जज उनके पक्ष में नहीं होते। उन्होने कहा कि वो ये जताती नहीं कि उन्हें बुरा लगता है। उन्होंने आगे कहा कि ये ठीक है वे पूर्वोत्तर से हैं लेकिन वे भारतीय तो हैं ही।

पक्षपात की होती रही हैं शिकार
32 वर्षीय मेरी कॉम ने चयनकर्ताओं पर उन्हीं के भार वर्ग में खेल रही हरियाणा की पिंकी जांगड़ा का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया। पाँच बार विश्व चैंपियन रह चुकी मेरी कॉम ने कहा कि ये हाल तब है जब वे पिंकी को हरा भी चुकी हैं। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि यहाँ कई विवाद हैं। पिंकी जांगड़ा को उन्होंने हमेशा हराया और गोल्ड मेडल हासिल कर खुद को साबित भी किया है, लेकिन चयनकर्ता फिर भी उसका समर्थन जारी रखे हुए हैं। वो कहती हैं कि इस तरह से हमेशा उनके साथ पक्षपात हुआ है।

Mary Kom emotional

खुद को रिंग में साबित करने को तैयार हैं मेरी
मैरी कॉम ने कहा कि उन्होंने तय किया है कि वे एक बार फिर खुद को रिंग में साबित करेंगी। पांच बार विश्व चैंपियनशिप और चार बार वो एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। मेरी 2014 के एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। 2012 लंदन ओलंपिक में जब महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता को इस आयोजन में शामिल किया गया तो वो वहां भी कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज़ बनीं। मैरी कॉम ने ये भी दावा किया कि निर्णायकों का ये कहना कि पिंकी ने सीडब्ल्यूजी से पहले 51 किग्रा भार वर्ग के ट्रायल्स में उनको हराया था सही नहीं है। बल्कि उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ गलत फैसला दिया गया था।

inextlive from Sports News Desk