PATNA: रोगियों को समय पर दवाईयां नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि ये कैसी व्यवस्था है कि एक तरफ गरीबों को दवा नहीं मिल पा रही है और दूसरी तरफ ये रखे-रखे एक्सपायर हो जाती हैं। फिर उन्हें कचरे के ढेर पर फेंक दिया जाता है। लिहाजा, हाईकोर्ट ने अखबार में छपी एक खबर पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। गौरतलब है कि चंद दिनों पहले छापेमारी के दौरान दो-तीन स्थानों से बड़े पैमाने पर नकली और एक्सपायरी दवाईयां बरामद की गई थीं।

क्या है मामला

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर को अपने स्तर से अखबार में छपी खबर की प्रामाणिकता की जांच करा कोर्ट को हकीकत से अवगत कराने को कहा है। खबर में कहा गया था कि बड़े पैमाने पर विभिन्न अस्पतालों के आसपास एक्सपाइरी दवाएं फेंक दी जाती हैं। समय रहते इन दवाओं को रोगियों में वितरित नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं रोगियों से बाहर से दवाएं मंगाई जाती हैं। अदालत ने इस मामले में स्वत: सुनवाई शुरू करते हुए वरीय अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद सिंह को मदद करने को कहा। सुनवाई में वरीय अधिवक्ता सिंह ने कहा कि यह पहले अनाज को लेकर होता था। गोदाम में रखा-रखा अनाज सड़ जाता है लेकिन गरीबों में इसे नहीं बांटा जाता।