महारानी ने प्रशांत महासागर में स्थित तुवालु जैसे द्वीपीय देश से लेकर रूस, चीन, चिली, घाना और ऑस्ट्रेलिया तक की यात्रा की है। इसलिए ताज्जुब होता है कि उन्होंने अपने पति एडिनबरा के ड्यूक, फिलिप की जन्मभूमि का कोई छोटा-मोटा दौरा भी नहीं किया है।

राजघराने के इतिहासकार ह्यूगो विकर्स कहते हैं कि फ़िलिप एक ‘ग्रीक प्रिंस’ हैं इसलिए ऐसा होना एक दिलचस्प बात तो जरूर है। विकर्स कहते हैं कि ग्रीस में राजघराने का इतिहास काफ़ी उथल-पुथल भरा रहा है।

ग्रीस और विवाद

इतिहासकार ह्यूगो विकर्स कहते हैं, “प्रिंस फिलिप को ग्रीस पसंद नहीं क्योंकि वहां उनके पिता प्रिंस एंड्रयू पर मुकदमा चलाया गया था और उन्हें मारा भी जा सकता था। साल 1922 को उनके परिवार को ग्रीस छोड़ना पड़ा था। ”

हालांकि कि ये बात पूरी तरह से सच नहीं है कि महारानी ग्रीस नहीं गई हैं। वे ग्रीस के सम्राट पॉल के न्योते पर 1950 में वहां गई थीं लेकिन उस समय वे महारानी नहीं बनी थीं।

साल 1963 में ग्रीस के सम्राट पॉल ब्रिटेन आए थे लेकिन विकर्स के अनुसार वो यात्रा काफी विवादास्पद रही थी क्योंकि ग्रीस में उस समय कई राजनीतिक बंदी थे।

सम्राट पॉल की मौत के बाद कॉन्सटेंटाइन को गद्दी मिली। कॉन्सटेंटाइन प्रिंस फ़िलिप के कजिन थे। उन्हें 1973 में ग्रीस में राजतंत्र की खात्मे के समय गद्दी से हटा दिया गया था। इतिहासकार विकर्स का कहना है कि इन घटनाओं की वजह से परेशानियां और बढ़ गई हैं।

इसराइल और अर्जेंटीना भी नहीं गईं महारानी

लेकिन उन्हें ये भी संदेह है कि शायद ग्रीस के राष्ट्रपति ने कभी महारानी एलिजाबेथ को राजकीय यात्रा का आमंत्रण ही ना दिया हो। ग्रीस के अलावा महारानी एलिजाबेथ इसराइल भी कभी नहीं गई हैं।

इसराइल के मामले में सुरक्षा एक अहम कारण हो सकता है। लेकिन इसकी वजह येरुशलम भी हो सकता है क्योंकि इसराइल इस शहर को अपनी राजधानी मानता है लेकिन पश्चिमी देश इसे नहीं स्वीकारते और उनके दूतावास तेल अवीव में हैं।

ग्रीस और इसराइल के अलावा महारानी ने मिस्र की भी यात्रा नहीं की है। अरब जगत में मिस्र के प्रभाव को देखते हुए ये चौंकाने वाली बात है। लेकिन लातिनी अमरीका में ब्राजील और चिली के अलावा महारानी एलिजाबेथ ने किसी अन्य देश का दौरा नहीं किया है।

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