-बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन से मासूमों की मौत का मामला

-ऑक्सीजन गैस कंपनी से भी थी साठगांठ

-ऑक्सीजन रेट कम होने के बाद भी कमीशन का चल रहा था खेल

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कमीशन के खेल में ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी शामिल हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के हाथ लगे दस्तावेज कामोबेश यही बयान कर रहे हैं। दस्तावेज में कमीशनखोरी में कर्मचारी के साथ मैडम की संलिप्तता भी सामने आ रही है। हर फाइल पर कमीशन का रेट फिक्स था और तय कमीशन न मिलने के चलते फाइलें रोक दी जाती थी।

मिले दस्तावेज में साफ जिक्र है कि कमीशन के लिए ऑक्सीजन का बजट ही रोक दिया। इसके चलते विगत दिनों मासूमों की मौत हो गई। उधर, डीजीएमई ने पहले ही साफ कर दिया है कि इस मामले में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स पर कार्रवाई तय है। इतना ही नहीं यदि बजट समय पर आया तो कंपनी को भुगतान क्यों नहीं किया गया? इस मामले में बाबू की भूमिका पर संदिग्ध है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि समय पर कमीशन ना मिलने की वजह से पुराने बजट को ही रोक दिया गया। जिसके चक्कर में ऐसी ि1स्थति आई।

लंबे समय से चल रहा था खेल

मेडिकल कॉलेज में कमीशनखोरी का प्रकरण लंबे समय से चल रहा था लेकिन कार्रवाई की डर से कोई मुंह नहीं खोलने को तैयार ना था। ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने के बाद 50 मासूमों की मौत पर केंद्र व राज्य सरकार हिल गई है। सीएम से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और आला अफसरों के दौरे भी शुरू हो गए। शासन की ओर से जांच कमेटी गठित होने के बाद पूरे प्रकरण की भी गहनता से जांच की गई। कमीशन के चक्कर में बजट को लैप्स कराना और समय पर काम पूरा न होने की लापरवाही भी सामने आ रही है। सूत्रों की मानें तो ऑक्सीजन कैसे आता है और कहां जाता है? इन सभी प्रकरण को शक के नजरिए से देखा जा रहा है। ऑक्सीजन के रिकार्ड में भी लापरवाही बरती गई।

मैडम रोक देती थी पैसा

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक मैडम जी हैं, जो शासन से मिलने वाले बजट की फाइलों को रोक कर रखती थी। साथ ही संबंधित कर्मचारियों को बुलाकर उनसे कमीशन की बात करती और यदि कमीशन कम होता तो फाइलों को रोकने का आदेश दे देती। डीजीएमई के जांच के घेरे में ऑक्सीजन व बजट से संबंधित बाबू आ चुके हैं। हालांकि उन पर भी गाज गिरनी तय है। सूत्रों के मुताबिक, दो और अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।