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पीने वालों की सरकार को अर्जी

- हाईवे पर बंद शराब के ठेकों को खुलवाने की आबकारी विभाग में आ रही अर्जी, अब तक 38 एप्लीकेशन आने से विभाग भी हैरान

- घर से दूर शराब की दुकानों के चलते कोई दिव्यांग होने की दे रहा दुहाई तो किसी को डर है कि पीने के बाद लौटते समय हो सकता है हादसा

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सरकार से आये दिन लोग शराबंदी की मांग करते रहते हैं। इसके लिए लेटर भी लिखते हैं विरोध भी होता है। लेकिन आपको ये खबर जानकार हैरानी होगी कि ऐसे भी कुछ लोग हैं जो हाईवे पर बंद शराब की दुकानों को फिर से खोलने की गुहार लगा रहे हैं। वह भी बाकायदा आबकारी विभाग को अप्लीकेशन देकर। लगायत विभाग को लेटर लिखा। अब तक आबकारी विभाग के पास 38 एप्लीकेशन आ चुकी हैं। ऐसे लोग इन ठेकों के बंद होने से परेशान हैं वो भी इसलिए क्योंकि इनको पीने पिलाने के लिए दूर जाना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनारस के आस-पास हाईवे के किनारे की शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में पीने वालों को अपनी तलब शांत करने के लिए हाईवे से करीब चार से पांच किलोमीटर दूर जाकर शराब लेना पड़ रहा है।

लगा रहे चक्कर

हाईवे पर शराब के ठेकों के बंद होने से परेशान ऐसे पियक्कड़ अब आबकारी विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। वो भी इस उम्मीद में कि ठेका फिर से खुल जाये। जिला आबकारी अधिकारी वाईआर यादव की मानें तो अब तक ऐसे 38 एप्लीकेशन विभाग के पास आ चुके हैं। जिसमे किसी न किसी बहाने का जिक्र करते हुए शराब के बंद ठेके को फिर से खोलने की मांग की गयी है। एक एप्लीकेशन में लिखा है कि साहब मैं दिव्यांग हूं चलने में परेशानी है। पहले ठेका घर के पास था तो ठीक था लेकिन अब दूर होने के कारण दिक्कत होती है। वहीं एक अन्य एप्लीकेशन में लिखा है कि मैं शराब पीने के बाद अब साइकिल चला घर आने में डरता हूं। पहले ठेका पास था तो पैदल आ जाता था लेकिन जबसे दूर हुआ है साइकिल से आने में हादसे का डर बना रहता है।

इनपर लगा ताला

- 190 शराब की दुकानों को हाईवे पर किया गया है बंद

- 83 देशी शराब की दुकानें इसमे हैं शामिल

- 56 अंग्रेजी शराब की दुकानों के भी गिरे शटर

- 43 बीयर की शॉप्स भी हुई बंद

- 3 मॉडल शॉप पर लटका ताला

- 5 बीयर बार भी हाईवे से हटे

शराब की दुकानों के हाईवे से हटने के कारण विभाग को नुकसान तो हुआ है लेकिन बहुत नुकसान पीने वालों को भी हुआ। तभी तो लोग यहां अर्जी देकर फिर से दुकानें खुलवाने की मांग कर रहे हैं।

वाईआर यादव, आरटीओ