नोट- यह खबर पढ़ी नहीं गयी है

- बनारस में महिला क्रिकेटर्स की टीम तक नहीं, गिनती की लड़कियां कर रही है क्रिकेट की प्रैक्टिस

-अनदेखी, प्रोत्साहन न मिलने से नहीं तैयार हो पा रही है महिला क्रिकेटर्स की टीम

VARANASI

भारतीय महिलाओं की टीम व‌र्ल्ड कप फाइनल भले ही हार गई हो लेकिन अपने खेल और जज्बे से पूरे देश का दिल जीत लिया है। लेडी क्रिकेटर्स की आइडियल इंडियन टीम की कैप्टन मिताली राज व हरमनप्रीत कौर बनने की काबिलियत बनारस की बेटियों में भी है लेकिन वह कैसे आगे बढ़े? जब यहां बेटियों के लिए क्रिकेट में सब शून्य ही दिखाई दे रहा है। न लेडी कोच है और न ही उसके लिए किसी ने कभी पहल की। यही वजह है कि बनारस में बेटियां चाहते हुए भी क्रिकेट में हाथ नहीं आजमा पा रही हैं। न कोई टूर्नामेंट का आयोजन और न ही ट्रायल, जिससे कि बेटियों का उत्साहवर्धन हो सके। आलम यह है कि जब कोई खास इवेंट होता है तब लेडी एथलीट या फुटबालर क्रिकेट टीम की ओर से खेलती है। छह से सात लड़कियां सिगरा स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रही है तो तीन से चार लड़कियां संस्कृत युनिवर्सिटी के ग्राउंड पर अपनी प्रतिभा निखार रही हैं। लगभग यही हाल डीएलडब्ल्यू ग्राउंड का भी है।

ख्वाहिशों को बोल्ड कर रहा सिस्टम

वूमेन क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए बनारस में कभी कोई गंभीर हुआ ही नहीं। खेल विभाग भी वूमेन क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कभी कोई पहल नहीं की। बड़े-बड़े खेल आयोजन के लिए चर्चित शहर के अधिकतर समाजसेवी संगठन भी कभी वूमेन क्रिकेट के लिए आगे नहीं आया। जिस किसी लड़की की ख्वाहिश भी क्रिकेट की ओर हुई तो उचित संसाधन और लेडी कोच नहीं होने की दशा में बैकफुट पर आ गई। वूमेन क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता का असर है कि बनारस छोड़ बाकि शहरों में वूमेन क्रिकेट की धूम मची है।

सिगरा स्टेडियम में कोच अमल चतुर्वेदी की देखरेख में सात से आठ लड़कियां क्रिकेट के गुर सीख रहीं है। चाहे कक्षा दस में पढ़ने वाली प्रियंका चौरसिया हो या फिर ग्रेजुएशन कर रही अंकिता सिंह, सुनैना मिश्रा, केतकी यादव, रति जायसवाल, रूचि पटेल, एकता और नीतू स्टेडियम में अपने खेल को निखार रहीं है। उधर, संस्कृत युनिवर्सिटी के ग्राउंड पर कोच आरपी गुप्ता की देखरेख में तीन से चार लड़कियां रोजाना क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रही हैं।

जैसे लड़कों के लिए इतने क्रिकेट मैच व ट्रायल होते हैं वैसे लड़कियों का भी होना चाहिए। वूमेन क्रिकेट को बढ़ावा देने की जरूरत है।

प्रियंका चौरसिया, क्रिकेटर

वूमेन क्रिकेट को लेकर बनारस में कुछ किया ही नहीं जा रहा है। शायद यही वजह है कि लड़कियां क्रिकेट में अपनी रूचि नहीं दिखा पा रही हैं।

अंकिता सिंह, क्रिकेटर

यहां वूमेन क्रिकेट को प्रमोशन की सख्त जरूरत है। यहां सभी खेलों को लेकर लोग अवेयर है बस वूमेन क्रिकेट को लेकर नहीं है।

अल्पना राय, क्रिकेटर

बनारस की लड़कियां क्रिकेट में भी शीर्ष तक पहुंच सकती है। बशर्ते इसके लिए लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। खास कर खेल विभाग को।

दिव्या, क्रिकेटर

लड़कों के लिए इतने टूर्नामेंट होते हैं, उन्हें फाइनेंस भी किया जाता है लेकिन लड़कियों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है।

इंद्रावती, क्रिकेटर