- रेवड़ी की तरह बांटे गये यश भारती पुरस्कार

- मानकों को ताक पर रखकर दिये गये अवार्ड

LUCKNOW : सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से सपा सरकार में दिये गये यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा और मापदंडों की जांच कर कार्रवाई के निर्देश के बाद एक बार फिर यश भारती पुरस्कार को लेकर सवाल उठने लगे हैं। 1994 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने साहित्य, कला, चिकित्सा, खेलकूद के क्षेत्रों में प्रदेश का नाम रोशन करने वालों को यह सम्मान देने की परंपरा शुरू की थी। सूत्रों की मानें तो पिछले साल अखिलेश सरकार ने मानकों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को यश भारती पुरस्कार दिया। जिसमें कई ऐसे लोग शामिल थे जो सपा सरकार, मंत्रियों, अधिकारियों की नजदीकियों के चलते पुरस्कार से नवाजे गये। बता दें कि यश भारती पुरस्कार में 11 लाख नकद राशि के साथ पचास हजार रुपये ताउम्र पेंशन देने की योजना है। रंगकर्मी दबीर सिद्दीकी ने आरटीआई से जानकारी मांगकर यशभारती का विरोध किया था। सूत्रों के अनुसार, उन्हें आरटीआई के तहत भी कई चीजों की जानकारी नहीं दी गई।

रेवड़ी की तरह बांटे पुरस्कार

अखिलेश सरकार में यशभारती पुरस्कारों को रेवड़ी की तरह बांटा गया। मानकों को ताक पर रख कर लोगों को अवार्ड से नवाजा गया। सबसे पहले यश भारती के लिए 54 लोगों के नामों की सूची जारी हुई उसके बाद दूसरी सूची में 11 लोगों के नाम और जोड़े गये। सम्मान समारोह से पहले इसमें छह लोगों के नाम और जोड़ दिये गये। इतना ही नहीं मंच पर तत्कालीन मुख्यमंत्री को पर्ची थमाई गई जिसके बाद दो लोगों के नाम और शामिल हो गये। जिसमें कुल 73 लोगों को लोक भवन में सम्मानित किया गया। रेवड़ी की तरह पुरस्कार बांटने का सिलसिला यही नहीं थमा, एक दिसंबर को मेट्रो उद्घाटन के दौरान 11 और लोगों को यश भारती सम्मान से नवाजा गया।

फैमिली डॉक्टर को भी दिया पुरस्कार

जानकारों की मानें तो यश भारती सम्मान उन लोगों को दिया गया जो पुरस्कार के मानकों को पूरा करने में असमर्थ थे जबकि ऐसे लोगों को दरकिनार कर दिया गया जो हकदार थे। पिछली बार फैमिली डॉक्टर, पुरोहित समेत कई लोगों को यश भारती पुरस्कार दिया। यहां तक संस्कृति सचिव ने अपनी पत्‍‌नी तक का नाम यशभारती के लिए आगे कर दिया था मगर विरोध होने पर वापस ले लिया था।

मरिंदर कुमार मिश्रा

समाजवादी माडल के युवा ध्वजवाहक: अखिलेश, समाजवादी स्तंभ, छोटे लोहिया जनेश्वर समेत कई समाजवाद पर किताबें लिखकर सरकार की नजर में आये लेखक मरिंदर कुमार पर अखिरकार सरकार की नजरें इनायत हो गई और उन्हें लेखक के तौर पर यशभारती सम्मान दिया गया।

ऋचा जोशी

लोकगायिका के रूप में शहर के छोटे छोटे इवेंट में प्रस्तुति देने वाली ऋचा जोशी के पति विक्रम बिष्ट के संस्कृति निदेशालय के अफसरों से अच्छे संबंधों का फल उनकी पत्‍‌नी को मिला। जिसके फलस्वरूप लोकगायिका के लिए ऋचा जोशी को यश भारती मिला। विक्रम विष्ट की ओर से मानकों के विपरीत यशभारती देने के विरोधी सुर उनकी पत्‍‌नी को अवार्ड मिलते ही बंद हो गये।

अर्चना सतीश

यश भारती सम्मान समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मंच पर पर्ची थमाई गई थी, जिसके बाद सम्मान समारोह का संचालन कर रही अर्चना सतीश को सीएम के आदेश के बाद यश भारती पुरस्कार दिया गया।

शिखा दिवेद्वी

दूरदर्शन में एंकर के पद पर कार्यरत शिखा दिवेद्वी को भी यश भारती पुरस्कार मिला। अधिकारियों की मेहरबानी जिसपर होती गई उसको यशभारती सम्मान से नवाजा गया।

दर्शन सिंह

दर्शन सिंह को सपा सरकार की ओर से यश भारती अवार्ड सम्मान से नवाजा गया था उनकी उपलब्धि बस इतनी थी कि वो सैफई के ग्राम प्रधान थे।

रामसिंह यादव

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गुरु और मुलायम पर क्रांतिदूत किताब लिखने वाले रामसिंह यादव को भी यशभारती सम्मान से नवाजा गया।

यह हैं मानक

- यशभारती के लिए उत्तर प्रदेश का निवासी होना जरूरी

- आवेदन प्रक्रिया से ही होता है चुनाव

- चयन कमेटी आवेदनों को शार्ट लिस्ट कर अग्रसारित करते हैं

- जिस क्षेत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं उत्कृष्ट काम करना आवश्यक

- बिना आवेदन के नहीं दिया जा सकता अवार्ड