1- फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म इटली में हुआ था। उनका नाम इटली के शहर फ्लोरेंस के नाम पर रखा गया। जहाँ 12 मई सन 1820 को उनका जन्म हुआ था।

2- फ्लोरेंस इंग्लैंड में बड़ी हुई। घर पर ही उनके पिता ने उन्हें पढाया। अंग्रेजी, इटैलियन, लैटिन, जर्मनी, फ्रेंच, इतिहास और दर्शन सीखा।

3- फ्लोरेंस ने अपनी बहन और माता-पिता के साथ अनेक देशो की यात्रा की। फ्लोरेंस दुसरों की मदद करना चाहती थी। वह एक नर्स बनना चाहती थी।

4- फ्लोरेंस के माता -पिता और बहन उन्हें नर्स नहीं बनने देना चाहती थी। अपने कठिन परिश्रम के चलते उन्होंने अपना सपना पूरा किया।

5- 1840 में इंग्लैंड में भयंकर अकाल पड़ा और अकाल पीडितों की दयनीय स्थिति देखकर वे बेचैन हो गईं। जिसके बाद उन्होंने नर्स बनने की ठानी।

6- फ्लोरेंस के एक पारिवारिक मित्र डॉ फाउलर से उन्होंने नर्स बनने की इच्छा प्रकट की। उनका यह निर्णय सुनकर उनके परिजनों और मित्रों में खलबली मच गई। प्रबल विरोध के बावजूद फ्लोरेंस ने अपना इरादा नहीं बदला।

7- फ्लोरेंस ने विभिन्न देशों में अस्पतालों की स्थिति के बारे में उन्होंने जानकारी जुटाई और अपने शयनकक्ष में मोमबत्ती जलाकर उसका अध्ययन करना शुरु कर दिया। उनके दृढ संकल्प को देखकर उनके माता-पिता को झुकना पड़ा।

8- फ्लोरेंस ने कैन्सर्वर्थ संस्थान में नर्सिंग की ट्रेनिंग ली। 1854 में क्रीमियन युद्ध में फ्लोरेंस को द लेडी विद लैंप का उपनाम एक अंग्रेजी अखबार में छपी इस खबर के आधार पर मिला।

9- नर्सिग के अतिरिक्त लेखन और अनुप्रयुक्त सांख्यिकी पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल का पूरा ध्यान रहा। फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया के युद्ध में रहा।

10- अक्टूबर 1854 में उन्होंने 38 स्त्रियों का एक दल घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा। इस समय किए गए उनके सेवा कार्यो के लिए ही उन्होंने लेडी विद द लैंप की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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