- आरटीओ में रजिस्टर्ड करीब 2 लाख 35 हजार वाहन

- तीन साल में शहर में बढ़ गए करीब 33 हजार वाहन

GORAKHPUR: ट्रैफिक मैनजमेंट की खामी ने जाम को शहर की परमानेंट बीमारी ही बना दिया है. लचर टाउन प्लानिंग वाली गोरखपुर सिटी का हाल ये कि सड़कों की चौड़ाई जो कई साल पहले हुआ करती थी वही आज भी है. जबकि इन पर फर्राटा भरने वाले वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है. बीते तीन साल की ही बात करें तो शहर में करीब 33 हजार वाहन बढ़ गए हैं. वर्तमान में करीब करीब 2 लाख 35 हजार वाहन शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं. वहीं, यातायात व्यवस्था के जिम्मेदार हैं कि वाहनों के बढ़ते इस लोड को रूट मैनेज कर कम करने की बजाए महज कोरम पूरा करते ही नजर आते हैं. जिसका नतीजा ये कि ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी वाले शहर के करीब 40 मुख्य चौराहों पर वाहनों की संख्या के आगे ट्रैफिक पुलिस भी बौनी नजर आती है.

हर साल बढ़ रहे 15-20 हजार वाहन

आरटीओ के बीते तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहर में करीब 33 हजार वाहन बढ़े हैं. ट्रांसपोर्ट और नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स को मिलाकर इस समय यहां करीब 2 लाख 35 हजार वाहन फर्राटा भर रहे हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो हर साल शहर में करीब 15 से 20 हजार वाहन बढ़ रहे हैं. वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए साफ कहा जा सकता है कि यातायात व्यवस्था के जिम्मेदारों ने अगर अब भी कुछ नहीं किया तो शहर को शायद ही कभी जाम की समस्या से निजात मिल पाए.

पार्किग की कमी भी लगाती जाम

सिटी में जाम की एक और बड़ी वजह पार्किग व्यवस्था को सही करने के लिए जीडीए और नगर निगम बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. यही वजह है कि गोरखपुराइट्स को सिटी के किसी भी मार्केट में जाने से पहले ये सोचना पड़ता है कि वहां वे गाड़ी कहां पार्क करेंगे. शहर के मेन मार्केट गोलघर का ही हाल देखें तो सड़क की दोनों पटरियों पर गाडि़यां खड़ी रहती हैं, जिसके चलते पैदल चलना तक दुश्वार होता है. पुराने गोरखपुर के मार्केट्स का हाल तो और बुरा है, जहां एक बड़ा वाहन भी घंटों के जाम का कारण बन जाता है.

ट्रैफिक पुलिस की भी कमी

ट्रैफिक व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए शहर के मेन 40 चौराहों पर करीब 150 ट्रैफिक जवान तैनात किए गए हैं. वहीं शहर में वाहनों की संख्या करीब दो लाख के पार पहुंच चुकी है जिसे संभालने के लिए 150 ट्रैफिक जवानों की संख्या बौनी ही नजर आती है.

आरटीओ में रजिस्टर्ड वाहन

2018-19

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 12440

नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल-223538

2017-18

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 3040

नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल-210851

2016-17

ट्रांसपोर्ट व्हीकल- 3202

नॉन ट्रांसपोर्ट - 199733

शहर में प्रमुख चौराहे - 40

ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी - 150

आरटीओ की ओर से डेली चालान - 11-12

मंथली चालान टारगेट - 350

डेली चालान वसूली - लगभग एक लाख रुपए

मंथली चालान वसूली - लगभग 30 लाख रुपए

अप्रैल 2019 में वसूला - 31 लाख 25 हजार रुपए

पुलिस की तरफ से चौराहों पर लगाए गए सीसीटीवी - 12

ट्रैफिक पुलिस ने लगवाया सीसीटीवी - 1

ट्रैफिक पुलिस की ओर से डेली चालान - लगभग 100

राजस्व वसूली डेली - 10 से 15 हजार

कोट्स

पहले किसी-किसी के पास गाड़ी हुआ करती थी, अब तो हर घर में गाड़ी है. यही वजह है कि इधर जाम की समस्या बढ़ी है.

पंकज शुक्ला

शहर में निकलो तो चौराहों पर वाहनों की लम्बी-लम्बी कतार लगी रहती है. इसकी वजह से जाम भी परेशान करता है.

राघवेंद्र प्रताप सिंह

वर्जन

सड़क और सभी प्रमुख चौराहे चौड़े हो रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तादाद भी बढ़ाई जा रही है. पुलिस की मदद लेकर जाम हटाया जाता है.

आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक

ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर हम भी जाम से निपटने के लिए कार्रवाई करेंगे. गलत तरीके से गाड़ी चला जाम लगाने वालों का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा.

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन