-पुलिस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर ने पकड़ी थी खामी, 300 सिपाहियों का नहीं था कोई अता पता

-बाद में 120 ने लगाई हाजिरी, 180 अब भी हैं लापता, एसएसपी ने वेतन रोकने के दिए आदेश

VARANASI

पुलिस के लिए इन दिनों 180 लापता सिपाही सिरदर्द बन गए हैं। आप सोच रहे होंगे कि सिपाही और लापता? दरअसल पिछले दिनों एसएसपी ने पुलिस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर से ड्यूटी चार्ट बनाने का आदेश दिया तो पता चला कि 300 पुलिसकर्मी ऐसे हैं जिनकी तैनाती कहां है इसका पता नहीं चल रहा था। इसकी मैनुअली जांच हुई तो 120 का तो पता चल गया लेकिन 180 सिपाही अब भी लापता हैं। मजे की बात ये है कि लापता ये सभी सिपाही लंबे वक्त से बैंक खाते से सैलरी ले रहे हैं लेकिन इनकी तैनाती का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है। एसएसपी ने ऐसे वर्दीधारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है। अब ये पहले अपनी तैनाती स्थल की जानकारी देंगे। उसके बाद ही इन्हें वेतन मिल सकेगा।

SPRA ने की थी ईजाद

एसएसपी के आदेश पर आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने वाले तत्कालीन एसपीआरए आशीष तिवारी ने पुलिस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर तैयार किया था जिससे पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। पूरे जिले के पुलिसकर्मियों का ब्योरा इसमें फीड कर दिया गया है। इससे पहले ड्यूटी मैनुअली लग रही थी। पुलिसकर्मी मनमाफिक स्थान पर ड्यूटी लगवा कर मजे लेते थे। कंप्यूटर में डाटा फीड हुआ तो पता चला कि फ्00 ऐसे पुलिसकर्मी हैं जिनकी तैनाती स्थल का ही पता नहीं है। इसके बाद नए सिरे से पड़ताल की गई तो कुछ का तो पता चला लेकिन क्80 अब भी लापता चल रहे हैं।

सब खेल था मुंशी व बाबू का

ये पूरा खेल पुलिस महकमे में मुंशी या बड़े बाबू के लेवल पर चल रहा था। माना जा रहा है कि लापता पुलिसकर्मियों ने इनसे सेटिंग बना रखी थी। इससे वह ड्यूटी पर जाएं या नहीं तनख्वाह पूरी मिल जाती थी। पहले सैलरी पहली तारीख को इन हैंड मिलती थी तो इनका पता भी चल जाता था लेकिन जबसे सैलरी बैंक में जाने लगी तब से इन सिपाहियों का कोई अता पता नहीं है। इसलिए पुलिस कप्तान ने एकाउंट सेक्शन को आदेश दिया है कि इन सभी क्80 पुलिसकर्मियों का वेतन रोक दिया जाए।