- राजपुर रोड स्थित सचिवालय के पास स्थित है 203 वर्ष पुराना स्कूल

- स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या 270, हॉस्टल में 270 स्टूडेंट्स रह रहे

- ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स की सेफ्टी का हवाला देते हुए शिफ्ट होंगे 135 ब्वॉयज

देहरादून, राजपुर रोड पर सचिवालय के ठीक सामने स्थित दून के 203 वर्ष पुराने पूर्व माध्यमिक स्कूल का विभाजन होने जा रहा है। विभाजन स्कूल की संपत्तियों का नहीं बल्कि यहां पढ़ रहे स्टूडेंट्स का होना है। इस स्कूल में ग‌र्ल्स और ब्वॉयज साथ पढ़ते हैं, अब 9 वर्ष से ज्यादा उम्र के ब्वॉयज को यहां से शिफ्ट करने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि ग‌र्ल्स सेफ्टी को देखते हुए यह निर्णय जिला प्रशासन के आदेश के बाद लिया जा रहा है।

1816 में शुरू हुआ बोर्डिग स्कूल

राजकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल राजपुर रोड की स्थापना 1816 में बोर्डिग स्कूल के रूप में हुई थी। ये राज्य के सबसे पुराने स्कूलों में शुमार है। 1969 में यह डे स्कूल बना। वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद इस स्कूल बिल्डिंग की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी थी। इसके कारण स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या भी कम हो रही थी। बिल्डिंग के रिनोवेशन और काफी कोशिशों के बाद अब इस स्कूल में 270 छात्र-छात्राएं पढ़ रही हैं।

हॉस्टल में 330 स्टूडेंट्स

वर्तमान में यह बोर्डिग स्कूल के रूप में ही मेंटेन किया गया है, हॉस्टल में 330 स्टूडेंट्स मौजूदा वक्त में रह रहे हैं। इनमें ग‌र्ल्स और ब्वॉयज दोनों शामिल हैं। स्कूल के हॉस्टल में जीजीआईसी राजपुर की छात्राएं भी रह रही हैं।

सिटी बोर्ड स्कूल में शिफ्ट होंगे ब्वॉयज

25 जनवरी को पूर्व माध्यमिक स्कूल राजपुर रोड से 135 ब्वॉयज को सिटी बोर्ड स्कूल धर्मपुर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा ग‌र्ल्स सेफ्टी को देखते हुए यह फैसला लिया है। शिफ्ट किए जाने वाले सारे ब्वॉयज 9 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं। सिटी बोर्ड स्कूल में शिफ्ट किए जाने वाले स्टूडेंट्स को बोर्डिग की फैसिलिटी भी मिलेगी। यह स्कूल जूनियर लेवल (8वीं)तक है।

203 वर्ष पुराना है स्कूल

- 1816 में हुई स्थापना

-1969 में डे-स्कूल में बदला

-2008 में रह गए थे केवल 5 स्टूडेंट्स

- 9 टीचर्स हैं परमानेंट

- 8वीं क्लास तक है स्कूल

-6 पैरा टीचर्स भी तैनात

- 12 हॉस्टल स्टॉफ

- 2008 में किया गया रिनोवेशन

- 2017 में 100 स्टूडेंट्स के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत मिला बजट

-2018-19 में रेजीडेंट स्पेशल टीचिंग पॉलिसी के तहत मिला 100 स्टूडेंट्स के लिए बजट

स्कूल की नहीं है जमीन

दो शतक पुराने स्कूल की जमीन खुद की नहीं है। पूर्व भवन स्वामी ने ट्रस्ट की 15 बीघा जमीन में से 10 बीघा जमीन बेच दी थी। जमीन खरीदने वाली दिल्ली की पार्टी ने खुद के खर्चे पर स्कूल के लिए नया भवन बनाने की पेशकश भी की थी, लेकिन न्याय विभाग ने इस पर आपत्ति लगा दी। कहा कि ट्रस्टी द्वारा संपत्ति बेचे जाने से पहले जिला जज की परमिशन जरूरी थी, बिना परमिशन संपत्ति की बिक्री नहीं हो सकती। वहीं दूसरी तरफ ट्रस्टी भी स्कूल भवन का किराया बढ़ाने के लिए कोर्ट में केस लड़ रहा है।