कानपुर। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 29 दिसंबर, 1984 का दिन इस मायने में खास है कि इस दिन 8वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम घोषित हुए थे। यह दिन दो वजहों से ऐतिहासिक साबित हुआ, राष्ट्रीय चुनावों में यह सीटों व मत प्रतिशत के लिहाज से किसी एक राजनीतिक दल की सबसे बड़ी जीत थी। रिकॉर्ड जो आज तक बरकरार है, यह जीत कांग्रेस पार्टी को मिली थी। जिसने जिन 514 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए उनमें से 404 सीटों पर जीत हासिल की थी। इतना ही नहीं उसे कुल मतों का 49.10 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने यह जीत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर हासिल की थी।  

भारतीय राजनीति के इतिहास में आज के दिन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने दर्ज की थी सबसे बड़ी जीत

विपक्ष का हो गया था सूपड़ा साफ

1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 404 सीटें मिली थीं, वहीं विपक्ष का लगभग सूपड़ा ही साफ हो गया था। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तब सिर्फ 2 सीटें हासिल कर पाई थी। इतना ही नहीं किसी भी राष्ट्रीय दल को इतनी सीटें भी नहीं मिली थीं कि वह मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा सके। एनटी रामाराव (एनटीआर) के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी तेलुगुदेशम मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी। जिसने लोकसभा की 30 सीटों पर जीत हासिल की थी। राष्ट्रीय पार्टियों में सीपीआई को 6, सीपीएम को 22, आईसीएस को 4, जेएनपी को 10 और लोकदल को 3 सीटों पर सफलता मिली थीं।

एनटीआर की पार्टी ही लहर से बच सकी

आजाद भारत के इतिहास में मत प्रतिशत के लिहाज से भी यह किसी राजनीतिक दल की लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी जीत है। चुनाव आयोग की 8वीं लोकसभा चुनावों की सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने कुल मतों का 49.10 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। बीजेपी को 7.74 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं सीपीआई को 2.71 व सीपीएम को 5.87 प्रतिशत वोट मिले थे। इस लहर से एनटीआर की तेलुगुदेशम पार्टी ही बच सकी थी जिसने कुल मतों का 4.31 प्रतिशत वोट हासिल किए। गौरतलब है कि पार्टी ने 34 सीटो पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत हासिल की।   

भारतीय राजनीति के इतिहास में आज के दिन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने दर्ज की थी सबसे बड़ी जीतउत्तर प्रदेश व बिहार में कांग्रेस ने किया था क्लीन स्वीप  

कांग्रेस पार्टी ने कई राज्यों में लगभग क्लीन स्वीप किया था। उत्तर प्रदेश में पार्टी ने 85 लोकसभा सीटों में से 83 पर जीत हासिल की थी। वहीं बिहार की 54 में से 48 पर विजय पताका फहराई थी। तब झारखंड भी बिहार राज्य का ही हिस्सा हुआ करता था। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व दिल्ली की सभी सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी को जो दो सीटें मिली थी उनमें से एक आंध्र प्रदेश और दूसरी गुजरात से थी। सीपीआई व सीपीएम पश्चिम बंगाल में ही बेहतर प्रदर्शन कर पाई थीं।

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