हैदराबाद (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कम से कम 30 छात्र अमेरिका से लौट आए हैं। तेलुगु संगठनों के अनुसार, वैसे छात्र वापस लौटे हैं, जिन्हें 'पे-टू-स्टे' घोटाले में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा हिरासत में नहीं लिया गया था। छात्रों के हित में काम करने वाले तेलुगु संगठनों ने कहा कि घर वापस लौटना उन छात्रों के लिए सबसे सुरक्षित ऑप्शन था, जिन्हें हिरासत में नहीं लिया गया या आव्रजन कानूनों के उल्लंघन के लिए नोटिस नहीं मिला। बता दें कि पिछले सप्ताह रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद अमेरिका में 130 विदेशी छात्रों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 129 भारत के दो तेलुगु राज्य के ही बताये जा रहे हैं। वे सभी अब भी अमेरिकी हिरासत में ही रखे गए हैं।

सभी छात्र तेलुगु राज्य के

बता दें कि 600 विदेशी छात्रों में से, 90 प्रतिशत भारतीयों ने अमेरिका में रहने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बनाई गई फेक यूनिवर्सिटी ऑफ फार्मिंगटन में एडमिशन लिया था। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक छात्र दो तेलुगु राज्यों के हैं। इसके अलावा अमेरिका में इस रैकेट को चलाने वाले आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और वे सभी भारतीय नागरिक हैं। आंध्र प्रदेश नॉन-रेजिडेंट तेलुगु (APNRT) सोसाइटी के चीफ कोऑर्डिनेटर बुचीराम कलापत्पु ने कहा, 'जो लोग अन्य यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर हो गए हैं, वे सुरक्षित हैं और घर लौटने में दूसरों को कोई समस्या नहीं है।'

जानबूझ कर लिया एडमिशन

'पे-एंड-स्टे' रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए ग्रेटर डेट्रायट इलाके में डीएचएस की इन्वेस्टीगेशन यूनिट ने फर्जी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और इसमें एडमिशन लेने के लिए इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) के अधिकारियों ने बुधवार 130 विदेशी छत्रों को गिरफ्तार किया। हिरासत में लिए जाने के बाद अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार हुए सभी छात्रों को पता था कि वे अमेरिका में रहने के लिए जानबूझकर यह अपराध कर रहे हैं।

आठ में से एक को मिली बेल

बता दें कि APNRT सभी छात्रों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए ह्यूस्टन में भारतीय दूतावास के साथ मिलकर काम कर रहा है। यहां तक कि 'पे-एंड-स्टे' रैकेट वाले आठ लोगों को भी वकील दिए गए हैं। इनमें से एक को पहले ही जमानत मिल गई है। सोसायटी के अधिकारियों को उम्मीद है कि बाकियों को भी जल्द ही बेल मिल जाएगी।

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